नीतीश को अपने पाले में खींचने के लिये लालू की पार्टी ने अपनाई नई रणनीति, ‘कंफ्यूज’ दिख रहे तेजस्वी

ये तो सभी जानते हैं कि रघुवंश प्रसाद सिंह जो भी बोलते हैं, उसमें 90 फीसदी लालू यादव की सहमति होती है।

New Delhi, Sep 25 : बिहार के सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ तेजस्वी यादव का नो एंट्री बोलना अब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को भी रास नहीं आ रहा है, दरअसल लालू बिल्कुल नहीं चाहते कि नीतीश के साथ बातचीत का कोई भी रास्ता हमेशा के लिये बंद हो, लालू को पता है कि अगर बीजेपी के विजय रथ को रोकना है, तो नीतीश को साथ लेना ही होगा।

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राजनीति संभावनाओं का खेल
वैसे लालू यादव एक मंझे हुए राजनेता हैं, उन्हें पता है कि राजनीति में हमेशा के लिये कुछ भी नहीं होता, राजनीति संभावनाओं का खेल है, जाहिर है कि इसमें नो एंट्री का मतलब नहीं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी, कि लालू की सहमति के बाद ही रघुवंश प्रसाद सिंह ने तेजस्वी के बयान का विरोध किया था, तब पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने तेजस्वी के बयान को नॉन पॉलिटिकल कहा था।

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नीतीश को लेकर पूरी पार्टी कंफ्यूज
लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद से राजद को काफी संघर्ष करना पड़ रहा है, फिर चाहे लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारा का मामला हो, या फिर नीतीश प्रकरण, तेजस्वी फैसला लेने में कंफ्यूज दिखते हैं, अगर सिर्फ नीतीश प्रकरण की ही बात करें, तो 15 दि में पार्टी के कई नेताओं ने कई तरह के बयान दिये हैं, और इन बयानों में आपस में खूब मतभेद दिख रहे हैं।

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लालू की सहमति
ये तो सभी जानते हैं कि रघुवंश प्रसाद सिंह जो भी बोलते हैं, उसमें 90 फीसदी लालू यादव की सहमति होती है, जाहिर है कि रघुवंश प्रसाद नहीं चाहते कि तेजस्वी की अनुभवहीनता की वजह से नीतीश से बातचीत का कोई रास्ता बंद हो, अब सवाल ये है कि क्या वाकई तेजस्वी बिना सलाह मशविरा के ही बयान देते हैं, या इसके पीछे भी कोई खास रणनीति है, पार्टी के नेता हो, या जानकार, तेजस्वी के इस बयान को लेकर सभी अचंभित है, लेकिन नीतीश खेमे का मानना है कि ये राजद की एक चाल है, जानबूझकर कंफ्यूजन का माहौल बनाया जा रहा है। ताकि नीतीश की ओर से बातचीत की पहल हो।