1 साल में पूरी हुई कप्तान विराट कोहली की ये मुराद, तोहफा पाकर हो गये बेहद खुश

एक साल बाद मानो विराट की मुराद पूरी हो गई है, विशाखापट्टनम टेस्ट मैच जीतकर विराट ने कहा कि इस मैच में इस्तेमाल की गई एसजी बॉल काफी शानदार थी।

New Delhi, Oct 09 : दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीन मैचों की सीरीज का पहला टेस्ट मैच जीतने के बाद टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली के चेहरे पर मुस्कुराहट है, इसकी एक खास वजह मैच में इस्तेमाल एसजी बॉल थी, जिसे लेकर कप्तान विराट काफी खुश नजर आये, हालांकि ये बात किसी से छुपी नहीं है, कि विराट कोहली ने एक साल पहले एसजी बॉल को लेकर नाराजगी जाहिर की थी, उन्होने यहां तक कहा था कि अगर संभव हो तो टेस्ट क्रिकेट के लिये ड्यूक गेंद का इस्तेमाल किया जाना चाहिये, विराट ने तब कहा था कि एसजी बॉल कुछ समय में ही ढीली हो जाती है, और चमक खो देती है, जिससे तेज गेंदबाजों को ज्यादा मदद नहीं मिलती, विराट के अलावा तेज गेंदबाज उमेश यादव और आर अश्विन ने भी एसजी बॉल की क्वालिटी पर सवाल खड़े किये थे।

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गेंदबाज आपको चुनौती देते हैं
लेकिन एक साल बाद मानो विराट की मुराद पूरी हो गई है, विशाखापट्टनम टेस्ट मैच जीतकर विराट ने कहा कि इस मैच में इस्तेमाल की गई एसजी बॉल काफी शानदार थी, एसजी बॉल का ये लॉट काफी बेहतर है, यानी कुछ तो सुधार हुआ है, हम चाहते हैं कि गेंद 80 ओवर तक हार्ड बनी रहे, अगर ये 40-45 ओवर में ही नरम पड़ जाएगी, तो मैच में कुछ नहीं होगा, टेस्ट क्रिकेट के लिये आदर्श स्थिति ये है कि हार्ड बॉल से बल्लेबाजों को मुश्किल होती है, अगर गेंद 80 नहीं तो कम से कम 60 ओवरों तक तो हार्ड होनी चाहिये, जिससे मैच में बने रहने में मदद मिलती है, गेंदबाज आपके सामने मुश्किलें पेश करते हैं, यही टेस्ट क्रिकेट का मजा है।

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एसजी बॉल
एसजी बॉल भारत में बनती है, यहां टेस्ट मैच इसी से खेला जाता है, एसजी गेंद की सिलाई सबसे अच्छी होती है, लेकिन भारतीय हालात में 10-20 ओवर तक ही ये गेंद स्विंग करती है, फिर अपनी चमक खो देती है, इसकी सीम 80-90 ओवर तक ही सीमित रहती है, जिससे रिवर्स स्विंग की संभावना बनी रहती है, इसके अलावा इस गेंद से स्पिनरों को ग्रिप करने में काफी आसानी होती है।

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कूकाबुरा गेंद
ये गेंद ऑस्ट्रेलिया में बनती है, और इसका इस्तेमाल ऑस्ट्रेलिया के अलावा दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड, श्रीलंका, जिम्बॉब्बे और न्यूजीलैंड में होता है, 20-25 ओवरों के बाद जब इस गेंद की सिलाई ढीली पड़ने लगती है, तो ये स्विंग करने में काफी मददगार हो जाती है, लेकिन स्पिनर्स आमतौर पर इस गेंद को पसंद नहीं करते, क्योंकि इससे उन्हें ज्यादा मदद नहीं मिलती, कूकाबुरा के अंदर कार्क और सफेद मोटे धागे का इस्तेमाल होता है।

ड्यूक गेंद
ड्यूक गेंद इंग्लैंड में बनती है, और इसका इस्तेमाल इंग्लैंड के अलावा वेस्टइंडीज में होता है, ड्यूक की सीम शानदार होती है, 50-50 ओवर तक ये बनी रहती है, और बढिया स्विंग करती है, ये तेज गेंदबाजों के लिये सबसे ज्यादा मददगार गेंद है, इस गेंद की सिलाई, स्विंग और उछाल गेंदबाजों के लिये वरदान साबित होती है, ड्यूक अंदर और बाहर दोनों तरफ स्विंग करती है, यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है।