Opinion – 1946 में जिन्ना की मुस्लिम लीग को वोट देने वाले 1947 में पाकिस्तान क्यों नहीं गए

1946 के चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि भारतीय हिस्से में रहने वाले करीब 86 फीसदी मुसलमानों ने जिन्ना की मुस्लिम लीग को वोट दिया था।

New Delhi, Oct 13 : जब कोई मुसलमान कहता है कि – “1947 में हमने और हमारे बाप-दादाओं ने इस देश को रहने के लिए चुना था” तो मुझे बड़ी हैरानी होती है… आज़ादी से पहले 1946 में मुसलमान कितने सेक्युलर थे और और उनका उस चुनाव में नुमाइंदा कौन था??? इस एतिहासिक तथ्य को जानने के बाद मुझे बहुत हैरानी हुई थी ठीक उसी तरह जिस तरह आज नांदेड़ में असदुद्दीन ओवैसी के उस बयान पर हुई, जिसमें उन्होने मुसलमानों से बोला कि – ‘हमको अपने नुमाइंदों की जरूरत है, भूल जाओ खुदा के लिए सेक्युलरिज्म, आज हमारे नुमाइंदे नहीं हैं, इसकी मिसाल है याकूब मेनन को फांसी मिली, उसके खिलाफ कोई आवाज़ नहीं उठी, याकूब मेनन को तुम बचा सकते थे, अगर तुम्हारे पास तुम्हारे नुमाइंदे होते’…

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तो आइये जानते हैं इस देश में रह रहे मुसलमानों का सेक्युलर होने और उनका अपना नुमाइंदा चुनने का इतिहास क्या है… अध्यन करते हैं 1946 के चुनावों का जो आजादी के ठीक एक साल पहले हुआ था जिसमें कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच सीधा मुकाबला था… इन चुनावों में मुद्दा बिजली, सड़क, पानी नहीं था… मुद्दा सिर्फ एक था हिंदुस्तान या पाकिस्तान…
1946 के चुनाव में जिन्ना की मुस्लिम लीग ने नारा दिया “लड़ के लेंगे पाकिस्तान, मर के लेंगे पाकिस्तान”… और इसी नारे पर मुस्लिम लीग ने देश की तमाम मुस्लिम सीटों पर 86 फीसदी से ज्यादा मत प्राप्त किए… अबुल कलाम आज़ाद की अध्यक्षता में कांग्रेस ने जिन मुस्लिम सीटों पर चुनाव लड़ा उनमें से 90 फीसदी सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई… देश की कुल 494 मुस्लिम सीटों में से मुस्लिम लीग को 429 सीटें हासिल हुईं… आपको ये जानकर अचरज होगा कि इनमें से आधी से ज्यादा सीटें उन शहरों, उन राज्यों की थी जो आज भी हिंदुस्तान में हैं… आइए अब जानते हैं कि जिन्ना की मुस्लिम लीग जहां जीती थी वो सीटें कौन सी थीं और किस राज्य की थी???

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– सयुंक्त प्रांत (आज का उत्तरप्रदेश) की 66 मुस्लिम सीटों में से 54 सीट मुस्लिम लीग
– बिहार की 40 मुस्लिम सीटों में से 34 सीट मुस्लिम लीग
– मध्य प्रांत (आज का मध्यप्रदेश) की 14 मुस्लिम सीटों में से 13 सीट पर मुस्लिम लीग
– मुंबई प्रांत (आज का महाराष्ट्र-गुजरात) की 30 मुस्लिम सीटों में 30 पर मुस्लिम लीग
– मद्रास प्रांत (आज का तमिलनाडु, केरल, आंध्र) की 28 में से 28 सीटें मुस्लिम लीग
– असम प्रांत की 34 मुस्लिम सीटों में से 31 मुस्लिम लीग
– पंजाब प्रांत की 86 मुस्लिम सीटों में से 74 सीटें मुस्लिम लीग
– बंगाल की 119 मुस्लिम सीटों में से 113 सीटें मुस्लिम लीग
– उड़ीसा की 4 मुस्लिम सीटों में 4 मुस्लिम लीग

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तो ये साफ हो गया कि मुस्लिम लीग ने ज्यादातर सीटें जहां जीती थीं वो सब हिस्से भारत में रह गए जैसे – मुंबई प्रांत (आज का महाराष्ट्र-गुजरात), सयुंक्त प्रांत (आज का उत्तरप्रदेश), बिहार, मध्य प्रांत (आज का मध्यप्रदेश), उड़ीसा, आसाम, मद्रास स्टेट… जिन्ना की मुस्लिम लीग को वोट देने वाले इन राज्यों के मुसलमान जानते थे कि बंटवारे के बाद उनके इलाके हिंदुस्तान में ही रहेंगे फिर भी इन्होने अलग पाकिस्तान के लिए वोट दिया… लेकिन सबसे हैरानी की बात ये है कि इन राज्यो में आज भी मुस्लिम जनसंख्या अच्छी-खासी तादाद में मौजूद है, यानि 1946 में मुस्लिम लीग को वोट देने वाले 1947 में पाकिस्तान नहीं गए…

1946 के चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि भारतीय हिस्से में रहने वाले करीब 86 फीसदी मुसलमानों ने जिन्ना की मुस्लिम लीग को वोट दिया था…आइए अब वर्तमान आंकड़े देखते हैं… पाकिस्तान में आज 2 करोड़ मोहाजिर हैं यानि वो मुसलमान जो भारत से पाकिस्तान गए और वहां बस गए… लेकिन भारत में आज भी 20 करोड़ मुसलमान हैं… इस आंकड़े से आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि जिन्ना की मुस्लिम लीग के कितने वोटर आखिर पाकिस्तान गए…
आइए अब वापस आते हैं ओवैसी के बयान पर… जिन्होने मुसलमानों से कहा कि आपका कोई नुमाइंदा नहीं है… सोचिए मुसलमानों ने जिसे इतिहास में नुमाइंदा चुना था वो कौन था??? दूसरी बात ओवैसी ने मुसलमानों से कहा की भूल जाओ सेक्युलरिज्म, तो क्या ओवैसी उसी सेक्युलरिज्म की बात कर रहे हैं जिसे मुस्लिम भाईयों ने 1946 में चुना था???

नोट – 1946 में जिन्ना की मुस्लिम लीग को वोट देने वाले 1947 में पाकिस्तान क्यों नहीं गए, इस पर अगले पोस्ट में विस्तार ले लिखूंगा… क्योंकि भारतीय इतिहास में इससे दिलचस्प कहानी कोई और नहीं हो सकती।

(वरिष्ठ पत्रकार प्रखर श्रीवास्तव के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)