बिल्लियां लगातार करती रही हैं दूध की रखवाली!
इस ताजा विवादास्पद कमेटी पर लालू प्रसाद की यह टिप्पणी सही लगती है कि ‘बिल्ली कर रही है, दूध की रखवाली।’
New Delhi, Oct 13 : यह अच्छा हुआ कि उप मुख्य मंत्री सुशील कुमार मोदी ने पटना जल जमाव जांच कमेटी के गठन को नकार दिया। पर बिहार सरकार के नगर विकास विभाग ने तो कमेटी के तीन सदस्यों के नामों की भी घोषणा कर दी थी। इस ताजा घटना पर 1996 के चारा घोटाले की जांच वाली लालू सरकार की कमेटी की याद आ गई।
इस ताजा विवादास्पद कमेटी पर लालू प्रसाद की यह टिप्पणी सही लगती है कि ‘बिल्ली कर रही है, दूध की रखवाली।’ पर क्या यह कोई नई बात है ? खैर यह कमेटी तो कुछ काम ही नहीं कर सकी, पर चारा वाली कमेटी तो कुछ काम करके कुछ दूध गटक भी चुकी थी।
यदि समय पर चारा घोटाले की सी.बी.आई.जांच का अदालती आदेश नहीं आया होता तब तो वह कमेटी पूरा दूध गटक ही गई होती। लालू सरकार ने जिन तीन सदस्यों की कमेटी बनाई, उन तीनों को सी.बी.आई. ने उसी केस में जेल भिजवाया। कोर्ट से उन्हें सजा भी दिलवाई। वे चारा घोटाले में लिप्त थे। वे थे बेक जूलियस, डा.रामराज राम और फूलचंद सिंह। ताजा कमेटी के सदस्यों के नामों के प्रस्ताव से लग गया था कि बिहार सरकार के अफसरों की कार्यशैली नहीं बदली है। यह आम धारणा है कि यदि नगर विकास विभाग ,बुडको और पटना नगर निगम के बड़े अफसर अपना काम ठीक से कर रहे होते तो इस बार जल जमाव के कारण लाखों लोगों को कई दिनों तक अभूतपूर्व नारकीय जीवन नहीं भोगना पड़ता।
संपत्ति का भारी नुकसान जो हुआ, वह अलग। अब क्या वही बड़े अफसर उस जल जमाव के कारणों की निष्पक्ष जांच कर पाते ? अधिकतर लोग अच्छी तरह जानते हैं कि निगम के लिए आवंटित पैसों की किस तरह बंदरबांट होती है। अनेक मामलों में भ्रष्ट अफसरों व कर्मचारियों को किस तरह सजा से बचा लिया जाता है। यदि जल जमाव की कभी सही जांच हो जाए तो यह घोटाला एक मिनी चारा घोटाला साबित हो सकता है। चारा घोटाले के बारे में पटना हाई कोर्ट ने 1996 में कह दिया था कि उच्चस्तरीय साठगांठ के बिना ऐसा घोटाला संभव नहीं है।
(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)