Opinion – इसे अंधविश्वास कहने वाले अपने बाप को भी तभी बाप मानेंगे जब डीएनए जांच होगा ?

नीम्बू मिर्च और ॐ लिखे जाने को कुछ लोगो ने अंधविश्वास से जोड़ा है । मैं इसे विश्वास से जोड़कर देखता हूँ।

New Delhi, Oct 14 : जो लोग राफेल विमान को पूजा करने पर मजाक उड़ा रहे हैं उन्हें भारतीय संस्कृति का पता नही । जो यह मानते हैं कि पुष्पक विमान महज एक खयाली किस्सा है उनकी जानकारी के लिए — भारतीय धर्मग्रंथों में केवल पुष्पक विमान की चर्चा नही है बल्कि एक दर्जन से अधिक दूसरे विमानों की भी चर्चा है। रावण के बेटे मेघनाद जब शिव के पास गए तो शिव ने नंदी के साथ कई महत्वपूर्ण शस्त्रास्त्र भी दिखाने के लिए भेजा । विद्याधर नामक ऋषि के पास महापद्म विमान भी था । इसी विमान में मेघनाद ने हथियारों का जखीरा जमा किया । जाहिर है यह लड़ाकू विमान था । इसकी बाकायदा पूजा करने के बाद मेघनाद ने उपयोग किया । कैलास में यक्ष , दैत्य , सुर , असुर , नाग ने यज्ञ में हिस्सा लिया और अपने अपने शस्त्र मेघनाद को सौंपे । इनकी बदौलत ही मेघनाद ने इंद्र को पराजित किया था । शकुन विमान , त्रिपुर विमान , सहस्त्रप्रभा विमान युद्धक और सवारी विमान थे ।

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वायुसेना से रिटायर हुए अभियंता प्रह्लाद राव ने एक शोध किया है जिसमे उन्होंने एरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया से मदद ली और शोधपत्र जारी किया । ऐरोनॉटिक्स रिडिस्कॉवर नामक इस शोधपत्र में प्राचीन भारत मे वैमानिकी से सम्बंधित जानकारी दी है । महर्षि भारद्वाज विश्वकर्मा ( उस जमाने में इंजीनियर को विश्वकर्मा की उपाधि मिलती थी ) ने मेकैनिकल इंजीनियरिंग पर ” यंत्र सर्वस्व ” ग्रंथ लिखा है । इसमें एक अध्याय वैमानिकी शास्त्र ही है । इसमें अगस्त्य ऋषि के शक्ति सूत्र , ईश्वर ऋषि के सौदामिनी कला , भारद्वाज ऋषि के अंशुबोधिनी और आकाशशास्त्र , शाकटायन ऋषि का वायुतत्व , धूम ( धुँवा ) प्रकरण जैसे तकनीक का वर्णन है ।

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भारद्वाज ने सौ से अधिक सिद्धांतो को स्थापित किया है जो वैमानिकी शास्त्र ही है। ऐसा नहीं है कि भारद्वाज ऋषि वैमानिकी के अकेले जानकार थे । उनके पहले भी इस विज्ञान की चर्चा थी जिसे भारद्वाज ने रिफरेन्स में लिया। गर्ग ऋषि का यंत्रकल्प , शौनक का व्योमयान तंत्र , नारायण का विमान चंद्रिका आदि कई ऋषियों के ग्रंथ में विमान के बनावट की भी चर्चा है। भरद्वाज मुनि ने विमान का पायलट, जिसे रहस्यज्ञ अधिकारी कहा गया , आकाश मार्ग, वैमानिक के कपड़े, विमान के पुर्जे, ऊर्जा, यंत्र और उन्हें बनाने के लिए विभिन्न धातुओं का वर्णन किया है।

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कुछ नवज्ञानी विद्वान सवाल खड़ा कर सकते हैं कि ये विमान बिना पेट्रोल के कैसे चलते थे। उस समय तो न तो खाड़ी देश थे न तेल के कुएं। ऋषि भारद्वाज ने उनकी भी शंका भी दूर की है । विमान को चलाने के लिए चार तरह के ऊर्जा स्रोतों का भारद्वाज उल्लेख करते हैं – पहला वनस्पति तेल, जो पेट्रोल की तरह काम करता है। दूसरा , पारे का भाप । प्राचीन शास्त्रों में इसका शक्ति के रूप में उपयोग किये जाने का वर्णन है। इसके द्वारा अमरीका में विमान उड़ाने का प्रयोग हुआ, पर वह ऊपर गया, तब विस्फोट हो गया। परन्तु यह तो सिद्ध हुआ कि पारे की भाप का ऊर्जा के रूप में उपयोग किया जा सकता है। तीसरा , सौर ऊर्जा-इसके द्वारा भी विमान चलता था। चौथा , वातावरण की ऊर्जा- बिना किसी अन्य साधन के सीधे वातावरण से शक्ति ग्रहण कर विमान, उड़ना जैसे समुद्र में पाल खोलने पर नाव हवा के सहारे तैरती है उसी प्रकार अंतरिक्ष में विमान वातावरण से ऊर्जा खींचकर उड़ता रहे । विघ्नसंतोषियों की जानकारी के लिए यह भी बता दे – सत्तर के दशक में नासा में काम करने वाले एक भारतीय से नासा के अधिकारियों ने भारद्वाज ऋषि के यंत्र सर्वस्व ग्रंथ जुगाड़ करने का आग्रह किया । मैसूर में इस ग्रंथ के कुछ हिस्से मिले जिसे नासा को भेजा गया। इसपर नासा के वैज्ञानिक भी कम कर रहे हैं। उन्हें भारतीय मनीषा पर विश्वास है लेकिन भारत के कुछ चुक्कडों को इसपर ऐतराज है कि ओम क्यो लिखा ।

अब राफेल विमान पर वापस आता हूँ । नीम्बू मिर्च और ॐ लिखे जाने को कुछ लोगो ने अंधविश्वास से जोड़ा है । मैं इसे विश्वास से जोड़कर देखता हूँ। मेघनाद ने महापद्म विमान पाकर बाकायदा यज्ञ कराया था । ये सब पूजा पाठ हमारी हिन्दू और सनातन परंपरा का हिस्सा है । इसे अंधविश्वास कहने वाले अपने बाप को भी तभी बाप मानेंगे जब डीएनए जांच होगा ? अगर नही तो हम अपने पूर्वजों के बनाये नियम को क्यों तोड़े अगर वह कोई नुकसान नही पहुचा रहा हो । वैसे राफेल के साथ भारत के वैमानिकी विज्ञान पर भी ये विद्वान सवाल खड़ा करेंगे । मैं उनका जवाब देने को तैयार हूं क्योंकि प्राचीन वैमानिकी शास्त्र पर अभी अभी मैंने थोड़ा सा अध्ययन किया है।

(वरिष्ठ पत्रकार योगेश किसलय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)