क्या पवार ने सोनिया गांधी से 1991 का हिसाब चुकता कर लिया? जानिये कैसे पीएम बनते-बनते रह गये थे

शरद पवार भले इन दिनों सक्रिय राजनीति में ज्यादा दखलअंदाजी ना रखते हों, लेकिन 1991 का घटनाक्रम कोई कैसे भूल सकता है, जब वो खुद प्रधानमंत्री पद की रेस में थे।

New Delhi, Nov 23 : महाराष्ट्र में रातों-रात बड़ा उलटफेर हो गया, कल शाम तक शिवसेना सरकार बनाने के लिये तमाम जोड़-घटाव कर रही थी, आज सुबह फडण्वीस ने एनसीपी के समर्थन से सरकार बना लिया, बीजेपी नेता देवेन्द्र फडण्वीस ने दोबारा सीएम पद की शपथ ली, तो शरद पवार के भतीजे अजित पवार डिप्टी सीएम बनें हैं, पहले कहा गया कि इस पूरे सियासी घटनाक्रम में एनसीपी प्रमुख शरद पवार की भी रजामंदी है, लेकिन उन्होने बयान जारी कर बताया कि उन्हें इस बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी, महाराष्ट्र में बड़ा सियासी उलटफेर चर्चा का विषय बन गया है, इन सबके बीच साल 1991 के घटनाक्रम का भी जिक्र किया जा रहा है।

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क्या पवार ने लिया 1991 का बदला
शरद पवार भले इन दिनों सक्रिय राजनीति में ज्यादा दखलअंदाजी ना रखते हों, लेकिन 1991 का घटनाक्रम कोई कैसे भूल सकता है, जब वो खुद प्रधानमंत्री पद की रेस में थे, लेकिन बाद में ये कुर्सी पीवी नरसिम्हा राव को नसीब हुई, शरद पवार कई मौकों पर कहते रहे, कि सोनिया गांधी के वीटो की वजह से वो 1991 में प्रधानमंत्री नहीं बन पाये, उन्होने अपनी किताब लाइफ ऑन माई टर्म्स- फ्रॉम ग्रासरुट्स एंड कॉरीडोर्स ऑफ पावर में भी इस बात का जिक्र किया है।

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क्या लिखा है
पवार ने अपनी किताब में लिखा है, कि 1991 में 10 जनपथ के स्वयंभू वफादारों ने सोनिया गांधी को इस बात के लिये राजी किया था कि पवार की जगह पीवी नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री बनाया जाए, क्योंकि गांधी परिवार किसी ऐसे शख्स को पीएम की कुर्सी पर नहीं देखना चाहती थी, जो स्वतंत्र विचार रखता हो, अब महाराष्ट्र में सियासी भूचाल के बीच 1991 के घटनाक्रम को खूब जिक्र हो रहा है, भले शरद पवार ने भतीजे अजित पवार के फैसले से खुद को अलग कर लिया हो, लेकिन महाराष्ट्र में कांग्रेस को इससे तगड़ा झटका लगा है।

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मोदी से मुलाकात में लिखी गई स्क्रिप्ट
एक ओर महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार बनाने के लिये मैराथन बैठकें हो रही थी, तीनों दल न्यूनतम साझा कार्यक्रम की रुपरेखा तैयार कर रहे थे, लेकिन दूसरी ओर दो दिन पहले ही शरद पवार पीएम मोदी से मिलने के लिये पहुंचे थे, कहा तो गया कि पवार ने किसानों के मुद्दों को लेकर पीएम से मुलाकात की थी, लेकिन अचानक सबकुछ बदल गया है, जिसके बाद ये भी कहा जा रहा है कि क्या जानबूझकर शरद पवार ऐसे बयानबाजी कर रहे हैं। क्या मोदी से मुलाकात में ही इसकी स्क्रिप्ट लिखी गई थी।