बीजेपी के इस नेता के मुंबई पहुंचते ही अजित पवार से शुरु हुई थी डील, ये थी मांग

अजित पवार पिछले कुछ दिनों से दो अलग-अलग खेमों से बात कर रहे थे, यानी एक तरफ शरद पवार शिवसेना और कांग्रेस से बातचीत कर रहे थे, तो दूसरी ओर अजित बीजेपी नेताओं के भी संपर्क में थे।

New Delhi, Nov 24 : महाराष्ट्र के राजनीतिक भूचाल की चर्चा पूरे देश में हो रही है, शुक्रवार को ये तय हो गया था कि महाराष्ट्र में शिवसेना की अगुवाई में एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनेगी, उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री होंगे, लेकिन शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने रातों-रात बीजेपी के साथ मिलकर शिवसेना का खेल बिगाड़ दिया, ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर कैसे शरद पवार को छोड़ अजित ने अलग रास्ता अपना लिया।

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दोनों तरफ हो रही थी बात
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार अजित पवार पिछले कुछ दिनों से दो अलग-अलग खेमों से बात कर रहे थे, यानी एक तरफ शरद पवार शिवसेना और कांग्रेस से बातचीत कर रहे थे, तो दूसरी ओर अजित बीजेपी नेताओं के भी संपर्क में थे, कहा जा रहा है कि देवेन्द्र फडण्वीस के शपथ लेने से 12 घंटे पहले अजित पवार ने सरकार बनाने के लिये असली खेल शुरु किया।

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अजित को था असली डील का इंतजार
बीजेपी महासचिव और अमित शाह के करीबी भूपेन्द्र यादव शुक्रवार शाम करीब सात बजे मुंबई पहुंचे, भूपेन्द्र यादव के मुंबई पहुंचते ही अजित पवार के अपने करीबियों के जरिये देवेन्द्र फडण्वीस को संदेश भिजवाया, कि अगर उन्हें सरकार में अच्छी भागीदारी मिल जाती है, तो फिर वो उनके साथ सरकार में शामिल होने के लिये तैयार हैं।

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राणे की बड़ी भूमिका
इस डील में शिवसेना के पूर्व नेता नारायण राणे का भी बड़ा रोल माना जा रहा है, राणे और अजित पवार दोनों विलासराव देशमुख सरकार में मंत्री रह चुके हैं, दोनों के बीच काफी अच्छा रिश्ता है, इस बार के विधानसभा चुनाव में नारायण राणे के बेटे नीतेश बीजेपी में शामिल हो गये, तब भी शिवसेना ने विरोध किया था, इसके बाद चुनाव में भी शिवसेना ने उन्हें हराने के लिये पूरी ताकत झोंक दी, हालांकि इसके बावजूद नीतीश जीत गये।

महाराष्ट्र में नई सुबह
अजित पवार और देवेन्द्र फडण्वीस के बीच सरकार गठन पर बात बनते ही राजभवन को इसकी सूचना दी गई, सुबह 5.27 बजे महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटाया गया, फिर 8.05 बजे देवेन्द्र फडण्वीस ने सीएम और अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद का शपथ लिया।