हैदराबाद एनकाउंटर पर कुमार विश्‍वास, पहले दी मुबारकबाद फिर उठाया सवाल, पढ़िए

कविराज कुमार विश्‍वास ने हैदराबाद एनकाउंटर के बाद दो ट्वीट कर पुलिस का साथ भी दिया है न्‍याय व्‍यवस्‍था पर सवाल भी उठाए हैं । समर्थन इसलिए कि…

New Delhi, Dec 06: 29 नवंबर को पूरा देश उस घटना से स्‍तब्‍ध रह गया था जब एक डॉक्‍टर बेटी के अधजले शव के मिलने की सूचना मिली थी । मामले में जैसे-जैसे खुलासा हुआ लोगों का गुस्‍सा बढ़ने लगा । सामूहिक दुष्‍कर्म, उसके बाद शराब पिलाना, और फिर जिंदा जला देना । कौन से समाज में लोग इस हद तक गिर जाते हैं कि एक इंसान के साथ हैवानियत की हदें पार कर देते हैं । घटना के बाद गुस्‍सा उबल रहा था, आरोपी पकड़े गए, कोर्ट ने पुलिस कस्‍टडी में भी भेजा । लेकिन देर रात आरोपी पुलिस एनकाउंटर में मारे गए । बताया गया कि पुलिस चारों आरोपियों को सीन रीक्रिएट करने घटनास्‍थल पर ले गई थी, जहां से उन्‍होने पुलिस के हथियार छीनने की कोशिश की, भागने की कोशिश की और जवाब में पुलिस ने उन्‍हें मार गिराया । लेकिन इस घटना के बाद क्‍या, प्रतिक्रियाएं मिली जुली हैं ।

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कुमार विश्‍वास का ट्वीट
कविराज कुमार विश्‍वास ने हैदराबाद एनकाउंटर के बाद दो ट्वीट कर पुलिस का साथ भी दिया है न्‍याय व्‍यवस्‍था पर सवाल भी उठाए हैं । समर्थन इसलिए कि पुलिस ने वो किया जो उसे करना चाहिए था, सवाल इसलिए कि ऐसे आरोपियों को मौत के घाट उतारने के बाद न्‍याय व्‍यवस्‍था पर किसका भरोसा रहेगा । कुमार ने दो ट्वीट कर ये साफ किया कि वो क्‍या कहना चाहते हैं ।

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पहले तारीफ फिर सवाल
कुमार विश्‍वास ने पहले ट्वीट कर लिखा – शुक्रिया हैदराबाद पुलिस । लेकिन इसके बाद उन्‍होने सवाल उठाते हुए एक और ट्वीट किया, जिसमें पूछा – इस घटना पर देश के सामान्य नागरिकों में प्रसन्नता “न्यायिक व्यवस्था व राजनैतिक संकल्प-शक्ति” के प्रति गहरे अविश्वास की दुखद सूचना भी है ।  जनतंत्र के रूप में हम सब को इस व्यवस्था के आमूल-चूल कायाकल्प के विषय में सोचना ही होगा ।

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कुमार के ट्वीट पर रिएक्‍शन
वहीं कविराज के फॉलोअर उनकी बात पर मिलीजुली राय रखते हैं । कुछ का मानना है कि ऐसे एक एनकाउंटर से क्‍या होगा, जरूरी है कि न्‍याय व्‍यवस्‍था मजबूत हो तो वहीं इस एनकाउंटर के पक्ष में भी हैं । एक यूजर ने लिखा है – कितनो का एनकाउंटर करेंगे सिर्फ एक केस में एनकाउंटर करने से कुछ नही होगा इसके लिए सख्त कानून बनना चाहिए फाँसी होनी चाहिए जल्द से जल्द ये थोड़ी देर की खुशी नही चाहिए हमे। वहीं एक अन्‍य ने लिखा है – जो हुआ अच्छा हुआ , अब नियमो का रोना नही होना चाहिये की केसे हुए केसा नही हुआ ,, संविधान हमारे लिये बना है , हम संविधान के लिये नही बने है , जनता खुश है देश खुश है और क्या चाहिये ?