कड़क हेमंत ऋतु में शपथ लेने वाले सोरेन जी आगे बसंत ऋतु भी आएगा लेकिन आप बहकिये मत

आज ‘ रघु ‘ की अयोध्या पर किसी दूसरे कुल का शासन शुरू हो रहा है । इन्हें उस ‘रामराज’ से बेहतर करके दिखाना होगा जो केवल अखबारों और कागजो पर विकास का हाथी उड़ाया करते थे ।

New Delhi, Dec 29 : एक सम्राट का सत्ता किस तरह ध्वस्त होता है इसका प्रमाण है अयोध्या । सरयू नदी में एक पूरी पीढ़ी विलीन हो गयी । रघुबर यानी राम से पहले लक्ष्मण ( गिलुआ) को सरयू में समाधि लेनी पड़ी । लक्ष्मण को एक ब्राह्मण ऋषि दुर्वासा का श्राप था । राम को बचाने के लिए लक्ष्मण ( गिलुआ ) ने अयोध्या की प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी थी । लक्ष्मण को लगने लगा था कि उनकी जिम्मेदारी राज्य और प्रजा से अधिक राजा पर है । इसलिए ऋषि दुर्वासा को उन्होंने सम्राट राम से मिलने नही दिया ।

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दुर्वासा के श्राप के बाद लक्ष्मण ने सम्राट राम से सरयू नदी में समाधि लेने की बात कही । सम्राट राम ने कहा कि उन्होंने भी कइयों पर अन्याय किया है जिसका अहसास अब हो रहा है । इसलिये लक्ष्मण के साथ वे भी सरयू में समाधि लेंगे । इससे पहले लव को लाहौर और कुश को कौशल राज्य का राजा बना दिया । शत्रुघ्न ने जब सुना कि राम सरयू में समाधि ले रहे हैं तो वह भी भागे भागे अयोध्या पहुचे लेकिन इसके पहले अपने दोनों बेटो सुबाहु को मथुरा और युपकेतु को विदिशा का राजा बना दिया । राम ने भरत को अयोध्या संभालने का प्रस्ताव दिया । भरत ने कहा कि अब यहां बचा क्या है सो वे भी तीनो भाइयो के साथ सरयू में समाधि लेंगे ।

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अब सबको लगने लगा कि सरयू पवित्र है और यहां डुबकी लेने से पाप धुल जाते है या मोक्ष मिल जाता है। सरयू भी हैरान है कि गंगा जमुना और सरस्वती के होते हुए उनकी इतनी बलैया क्यों ली जा रही है।

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रघुकुल के लिए फिलहाल अयोध्या खत्म हो गयी ( कम से कम 5 साल ) लेकिन जिस तरह से स्वयंसिद्ध राम ने रावण बनकर अयोध्या का नाश किया उसका दंड इंद्रप्रस्थ में बैठे ब्रह्मा विष्णु भी नही देंगे तो जल्दी ही कुछ और अयोध्या भी जमीदोज होंगे । आज ‘ रघु ‘ की अयोध्या पर किसी दूसरे कुल का शासन शुरू हो रहा है । इन्हें उस ‘रामराज’ से बेहतर करके दिखाना होगा जो केवल अखबारों और कागजो पर विकास का हाथी उड़ाया करते थे । कड़क हेमंत ऋतु में शपथ लेने वाले सोरेन जी आगे बसंत ऋतु भी आएगा लेकिन आप बहकिये मत । आपको शुभकामनाये ।

(वरिष्ठ पत्रकार योगेश किसलय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)