महात्मा गांधी की अंतिम इच्छा अब करीब करीब पूर्णता के कगार पर है, कांग्रेस खत्म होने वाली है

मैं महात्मा गांधी की दूरदर्शिता को सलाम करता हूं, जिन्होंने जनमत की अवहेलना करके जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनवाया।

New Delhi, Dec 30 : मुझे नहीं लगता कि कांग्रेस अब भविष्य में कभी भी केंद्र की सत्ता में अपने दम पर लौट सकती है, क्योंकि गरीबों, किसानों, बेरोज़गारों के बुनियादी मुद्दों से लेकर देश की सुरक्षा, धर्मनिरपेक्षता और जातिवाद तक के मुद्दों पर वह बुरी तरह बेनकाब हो चुकी है। ऊपर से भयानक वंशवादी कीड़े ने उसे पूरा ही चाट लिया है।

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ऐसे में अगर भाजपा से लोगों का मोहभंग हुआ, तो कोई अन्य पार्टी उसकी जगह ले सकती है, लेकिन ऐसा लगता नहीं कि अभी उस पार्टी ने जन्म लिया है। जब तक वह पार्टी जन्म नहीं लेती, तब तक भाजपा से अधिक निराशा की स्थिति में देवगौड़ा, गुजराल टाइप अस्थिर सरकारें बन जाएं तो नहीं कह सकते, लेकिन कांग्रेस का खेल अब खत्म है। कांग्रेस केंद्र की सत्ता में अब अधिक से अधिक उस तरह शामिल हो सकती है, जैसे वह महाराष्ट्र की सत्ता में शामिल हुई है।

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इस प्रकार महात्मा गांधी जी की अंतिम इच्छा अब करीब करीब पूर्णता के कगार पर है। कांग्रेस में खुद को भंग करने का साहस तो नहीं है, लेकिन जनता उसे करीब करीब वैसी ही भंग अवस्था में लाकर छोड़ देगी, जैसी भंग अवस्था में भारत की कम्युनिस्ट पार्टियां पड़ी हुई हैं। देश की राजनीति में इससे अधिक सकारात्मक और कुछ नहीं हो सकता।

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मैं महात्मा गांधी की दूरदर्शिता को सलाम करता हूं, जिन्होंने जनमत की अवहेलना करके जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनवाया। शायद वे जानते थे कि उनकी इच्छा के मुताबिक कांग्रेस खुद को तो भंग नहीं करेगी, लेकिन अगर जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनवा दिया जाए, तो ये और इनके वंशज इस देश की छाती पर वंशवाद और स्वार्थ की राजनीति का ऐसा धान बोएंगे कि एक दिन जनता ही तंग आकर कांग्रेस को भंग कर देगी।

(वरिष्ठ पत्रकार अभिरंजन कुमार के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी  विचार हैं)