बीजेपी जबतक अपने चरित्र के हिसाब से अपनी योजनाएं नही बनाएगी उसके हाथ से राज्य छिनते जाएंगे

हज हाउस एक निहायत ही गैरजरूरी प्रोजेक्ट था। लेकिन बीजेपी ने मुसलमानों को लुभाने के लिए करोड़ो लुटाए । वहाँ तो उन्हें एक भी वोट नही मिला।

New Delhi, Jan 02 : रांची में 55 करोड़ का आलीशान हज हाउस चाहिए लेकिन उसी हज हाउस के बगल के बूथ में हज हाउस बनाने वाली बीजेपी को 700 में महज एक वोट ही मिला । निश्चित रूप से वह गलती से या किसी गैर मुस्लिम का डाला हुआ वोट होगा ।
लगता है कि यह देश मुख्यतः अराजक लोगो का देश भर है। लोकशाही के नाम पर , आजादी के नाम पर , विरोध के नाम पर इस देश मे सबकुछ जायज है । किसी की हत्या कर देना , आगजनी करना , पत्थरबाजी करना , सड़क जाम कर देना , राष्ट्रीय सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाना , सार्वजनिक मंच से देश की सरकार ,संविधान , देश की अस्मिता , सुरक्षा , सेना को गाली देना यहाँ के लोगो का फ़ैशन है।

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राजनेता , बैद्धिक समुदाय और तथाकथित प्रगतिशील लोगो के लिए इस देश मे बेहिसाब आजादी , उश्रृंखलता और अराजकता चाहिए । नोटबन्दी की तो मानो पाप कर दिया , सर्जिकल स्ट्राइक की तो भारी पाप कर दिया । पाकिस्तान जिंदाबाद कहने वालों को पाकिस्तान जाने कह दिया तो पाप कर दिया । अनुच्छेद 370 हटा दिया तो पाप कर दिया , राममंदिर मामले को जल्दी निपटवाने में भूमिका निभाई तो पाप कर दिया , CAA बनाया तो पाप कर दिया , NRC , NPR की चर्चा की तो पाप कर दिया । इन मुद्दे पर बवाल काटने वाले इसमें केवल और केवल मुसलमानी कारण देख रहे हैं । उन्हें इस बात पर ऐतराज नही कि एक प्रधानमंत्री पद पर बैठा व्यक्ति कहता है कि इस देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है ।

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मुसलमानों का अधिकार काहे है भाई ? मोदी के फैसलों पर आंख बंद कर विरोध करने वाले मुसलमान हैं , वामपंथी है और कुछ तथाकथित प्रगतिशील मूर्ख हैं जिन्हें तर्क कुतर्क करने का बेमतलब शगल होता है । इस बात पर वे नही बोलेंगे कि मोदी की सारी योजनाओं के बराबर के लाभुक मुस्लिम समाज भी है। झारखंड के चुनाव में एक कांग्रेसी प्रत्याशी का प्रचार अभियान एक मुस्लिम को उस इलाके में दिया गया था जहाँ केवल मुस्लिम आबादी है । बड़ी ईमानदारी से वह व्यक्ति अपने प्रत्याशी के लिए प्रचार के लिए जनसंपर्क में निकलता था । सबका यही कहना था — तुम बेकारे निकलते हो । तुम नही चाहोगे तब्बो सब पंजे में मारेगा । तपते तवे में भी बैठाकर किसी मुसलमान को बीजेपी को वोट देने कहिए ,वह नही देगा ।

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इसके बावजूद सबका साथ और सबका विश्वास जैसे फिजूल के नारों से उन्हें लुभाने की और हज हाउस जैसे कल्याणकारी योजनाएं उन्हें अपने पाले में लाने के लिए नाकाफी है । दुख की बात है कि 73 साल के बाद भी जबकि एक युवा पीढ़ी आ गयी है लेकिन मुसलमानों में मुस्लिममानिया और पकिस्तानीफोबिया खत्म नही हुआ है। बीजेपी के रणनीतिकार पता नही किस खुशफहमी में हैं कि उन्हें इंक्लूसिव पॉलटिक्स करना चाहिए औऱ मुसलमानों को जोड़ना चाहिए । बीजेपी के अल्पसंख्यक सेल में सिर्फ वही हैं जिन्हें पद की लालसा है। वोट तो वे भी शायद ही देते हो बीजेपी को । अब जबकि मोदी और शाह संवैधानिक पद पर है इसलिए वे भेदभाव वाली बात न कर सकते हैं न करनी चाहिए लेकिन पार्टीगत नीति तो जब भी बने तो माइनस मुस्लिम करके ही बने ।

हज हाउस एक निहायत ही गैरजरूरी प्रोजेक्ट था। लेकिन बीजेपी ने मुसलमानों को लुभाने के लिए करोड़ो लुटाए । वहाँ तो उन्हें एक भी वोट नही मिला उसके रिएक्शन में हिंदुओं ने भी बीजेपी से खुद को किनारे कर लिया । बीजेपी जबतक अपने चरित्र के हिसाब से अपनी योजनाएं नही बनाएगी उसके हाथ से राज्य छिनते जाएंगे ।
CAA , NRC से बीजेपी को थोड़ा भी नही डिगना चाहिए क्योंकि इसका विरोध करने वाले जाहिल लोग हैं और उन्हें बीजेपी न तो समझा पाएंगे न समझना चाहते हैं क्योंकि वे बीजेपी के वोटर नही हैं। बहुसंख्यक वोटरों को बीजेपी के अलावा कोई विकल्प नही है लेकिन वोट के दिन घर बैठे रहना उनके लिए मजबूरी बन जाता है । आदर्शवाद की बात छोड़े बीजेपी । अब पता चल रहा है कि वामपंथियों , कांग्रेसियो और मुस्लिम नेताओं ने देश को कितना खोखला बना दिया है । मुसलमानों में हिन्दू और देशविरोधी भावनाएं भरी गयी है। हिंदुओ के लिए नही लेकिन देश के लिए ही सही बीजेपी को अपने मूल चरित्र और मान्यताओं पर वापस लौटना होगा ।
( नोट : सच को सच कहना पड़ा । किसी को कान लगे कि कपार ।कोई भक्त कहे या अंध भक्त । मुझे चमचों , गुलामो , दलालों , देशद्रोहियों से कुछ लेना देना नही)