नेहरु, पटेल और दिल्ली का “बिरयानी बाग”!

जवाब में सरदार पटेल ने नेहरू को 22 नवंबर 1947 को क्या लिखा वो ध्यान से पढ़िए, कितनी दूरदृष्टि थी इस महामानव पटेल में, जो 1947 में 2020 की तस्वीरें देख पा रहा था।

New Delhi, Jan 24 : दिल्ली के “बिरयानी बाग” यानि शाहीन बाग में जो 2020 में चल रहा है, क्या उसे सरदार पटेल 1947 में ही भांप गये थे ? तब सरदार पटेल ने नेहरू से क्यों कहा था कि दिल्ली में अलग “मुस्लिम बस्ती” बसाने से टकराव बढ़ेगा ! शायद सरदार पटेल को पता था कि मुसलमान जब झुंड में होते हैं तो वो “मुग़ल बादशाह” की तरह व्यवहार करते हैं। मतलब ये कि हम जो चाहेंगे वो करेंगे, क्योंकि हम तो यहाँ 800 साल राज कर चुके हैं।

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तो किस्सा ये है कि नवंबर 1947 में दिल्ली में जबरदस्त दंगे हो रहे थे, और इन्ही दंगों के दौरान हमारे देश के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 21 नवंबर 1947 को सरदार पटेल को पत्र लिखा। नेहरू ने दिल्ली में मुसलमानों को सुरक्षा देने के उद्देश्य से सरदार पटेल को ये सुझाव दिया कि मुस्लिम बस्तियों से जो लोग पाकिस्तान चले गए हैं उनके खाली घर हिंदू शरणार्थियों को नहीं दिए जाएं, बल्कि इन घरों में उन मेव मुसलमानों को बसाया जाय जो अलवर और उसके आसपास के इलाकों से भागकर दिल्ली आ गए हैं।

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नेहरू का मानना था कि मुस्लिम बस्तियों में सिर्फ मुस्लिम रहेंगे तो वो खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे। नेहरू ने इस पत्र में सरदार को लिखा कि – “आज जो हालात हैं उनमें कोई रास्ता नहीं सूझ रहा। अगर हमें अपनी जिम्मेदारियों का पालन करना है तो मुस्लिम मोहल्लों में मुस्लिम लोगों के खाली पड़े मकान हिंदू शरणार्थियों को नहीं दिए जाएं।”

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अब जवाब में सरदार पटेल ने नेहरू को 22 नवंबर 1947 को क्या लिखा वो ध्यान से पढ़िए, कितनी दूरदृष्टि थी इस महामानव पटेल में, जो 1947 में 2020 की तस्वीरें देख पा रहा था, “पटेल नेहरू को लिखते हैं – मैं वास्तव में महसूस करता हूं कि दिल्ली में मुस्लिम पॉकेट (क्षेत्र) बनाना हमारी नीतियों खिलाफ है। दिल्ली में मुस्लिम क्षेत्र बनाने से हालात नहीं सुधरेंगे, बल्कि टकराव और बढ़ जाएगा। ऐसे मामलों का समाधान यही है कि अवांछित तत्वों को हटा कर पर्याप्त व्यवस्था की जाए। ऐसा होने पर इन इलाकों में मिली जुली (हिंदू-मुस्लिम) आबादी बढ़ेगी। हमें ये नकारना होगा कि मुस्लिम केवल मुस्लिम इलाकों में ही सुरक्षित महसूस कर सकते हैं। किसी भी स्थिति में बाहर से आए मुस्लिम लोगों (मेव मुस्लिम) को दिल्ली के मुस्लिम मोहल्लों में न बसाया जाए।”

(वरिष्ठ पत्रकार प्रखर श्रीवास्तव के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)