Opinion – मुसलमानों का कंधा एक गलत मुद्दे पर इस्तेमाल किया जा रहा है

एक तरफ से उन्हें कुछ कठमुल्ला और उनके अपने ही समुदाय के नेता, बुद्धिजीवी, लेखक, पत्रकार, कलाकार पीस रहे हैं।

New Delhi, Jan 27 : मेरे मुसलमान भाई-बहन दो पाटों के बीच लगातार पीसे जा रहे हैं और इसलिए अगर उन्होंने इस चक्की से खुद को बाहर नहीं निकाला, तो उनके साबुत बचने का कोई चांस नहीं है।
एक तरफ से उन्हें कुछ कठमुल्ला और उनके अपने ही समुदाय के नेता, बुद्धिजीवी, लेखक, पत्रकार, कलाकार पीस रहे हैं। दूसरी तरफ से सेक्युलरिज्म का ढोंग करने वाले कुछ गैर-इस्लामी लोग, जिनमें हिंदुओं की अधिकता है, वे भी उन्हें पीसे जा रहे हैं। ये दोनों ऐसे लोग हैं, जिन्होंने आज तक मुसलमानों को बदनामियों के सिवा न कुछ दिया है, न उनके लिए कुछ किया है।

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इन दोनों की मेहरबानी से मुसलमान भाई-बहन लगातार इस देश की मुख्य धारा से कटे हुए हैं और नित नई बदनामियों का शिकार हो रहे हैं। चाहे शरजील इमाम जैसे अलगाववादी विचार के लोग उनके आंदोलन का नेतृत्व करते दिखें, या फिर हिन्दू नामधारी मणिशंकर अय्यर जैसे नेता, जिनके आईएसआई एजेंट होने की पूरी आशंका है, उनके मंच पर दिखाई दें – मुसलमानों को बदनामी के सिवा कुछ और नहीं मिलने वाली।

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मैं फिर से कह रहा हूँ कि मुसलमान भाइयों-बहनों का कंधा एक गलत मुद्दे पर इस्तेमाल किया जा रहा है। देश की बड़ी आबादी एनआरसी और सीएए के मुद्दे पर बिल्कुल भी उनके साथ नहीं है, क्योंकि इन दोनों चीज़ों से उन्हें रत्ती भर नुकसान नहीं होना है।

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जहाँ तक घुसपैठियों का सवाल है, तो उन्हें इस देश से जाना ही होगा। अगर हमारे मुसलमान भाई-बहन पकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे मुस्लिम देशों से आए गैर-मुस्लिमों की तुलना वहां से आए मुस्लिमों से करना चाहते हैं, तो यह न केवल गलत है, बल्कि अन्यायपूर्ण और कुतर्कपूर्ण भी है और इसलिए पूर्णतः अस्वीकार्य है। शुक्रिया।

(वरिष्ठ पत्रकार अभिरंजन कुमार के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)