पाकिस्तान को धूल चटाने वाले यशस्वी ने खर्च कर दिये थे 13 हजार, कोच ने छीन लिया हेलमेट और…

यशस्वी के कोच ज्वाला सिंह ने कहा कि मैंने विश्वकप से पहले यशस्वी से वादा किया था कि अगर वो टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाला बल्लेबाज बनेंगे तो मैं उन्हें तोहफे में कार दूंगा।

New Delhi, Feb 05 : यशस्वी जायसवाल… ये नाम पिछले कुछ समय से घरेलू क्रिकेट में लगातार गूंज रहा है, अब ये नाम पूरी दुनिया में गूंजना शुरु हो गया है, यूपी के भदोही जिले के 18 वर्षीय इस बल्लेबाज ने अंडर 19 विश्वकप के सेमीफाइनल में पाकिस्तान को धूल चटा दी, यशस्वी ने मौजूदा टूर्नामेंट के 5 मैचों में 312 रन बनाये हैं, जिसमें तीन अर्धशतक और 1 शतक शामिल है, विश्वकप में सबसे ज्यादा रन बनाने के मामले में यशस्वी सबसे आगे हैं, हालांकि उनकी इस कामयाबी के पीछे सालों की तपस्या और संघर्ष है।

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तोहफे में कार
ईएसपीएन क्रिकइंफो से बात करते हुए यशस्वी के कोच ज्वाला सिंह ने कहा कि मैंने विश्वकप से पहले यशस्वी से वादा किया था कि अगर वो टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाला बल्लेबाज बनेंगे तो मैं उन्हें तोहफे में कार दूंगा, तो उन्होने मुझसे कहा था कि आप मुझे अपनी पुरानी कार दे देना, और अपने लिये नई कार ले लेना, जब यशस्वी सेमीफाइनल में पाक के गेंदबाजों की बखिया उधेड़ रहे थे, तो सामने बैठ ज्वाला सिंह मैच का लुत्फ उठा रहे थे, खास बात ये है कि यशस्वी को पता नहीं था कि उनके कोच स्टेडियम में बैठ मैच देख रहे हैं, ऐसा इसलिये क्योंकि कोच ने उन्हें बताया नहीं था, कि वो मैच देखने दक्षिण अफ्रीका आएंगे, लेकिन जैसे ही तय हुआ कि सेमीफाइनल में भारत-पाक का मुकाबला होगा, तो वो खुद को रोक नहीं सके।

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2013 में पिता ने सौंप दी थी यशस्वी की जिम्मेदारी
ज्वाला सिंह ने बताया कि 2013 में यशस्वी के पिता उन्हें मेरे पास लेकर आये थे, और मुझे उनकी पूरी जिम्मेदारी सौंप दी थी, इस विश्वकप से पहले युवा बल्लेबाज की पहचान एक बेहद आक्रामक बल्लेबाज की थी, उन्होने घरेलू क्रिकेट में दो दोहरे शतक लगाये थे, इस विश्वकप में भी उन्होने श्रीलंका के खिलाफ 59, न्यूजीलैंड के खिलाफ 57 और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 62 रनों की पारी खेली, हालांकि इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 60 से 70 के बीच रहा, इस पर ज्वाला सिंह ने कहा कि इस टूर्नामेंट में यशस्वी ने अपने खेलने का तरीका बदला है, क्योंकि वो अपने विकेट की कीमत जानते हैं।

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अलमारी पर रख दिया था हेलमेट
एक दिलचस्प वाकये का जिक्र करते हुए कोच ने बताया कि यशस्वी को एक स्थानीय टूर्नामेंट में प्लेयर ऑफ द सीरीज का अवॉर्ड मिला था, इसके लिये उन्हें 10 हजार रुपये का वाउचर दिया गया, उन्होने कहा कि वो एक क्रिकेट हेलमेट खरीदना चाहते हैं, तो मैंने उन्हें अनुमति दे दी, जब वो वापस लौटे, तो उन्होने मुझसे कहा कि मैंने 3 हजार ज्यादा खर्च कर दिये, क्या आप मुझे वो पैसे दे सकते हैं, ये पहला मौका था जब मैंने उन पर गुस्सा किया, मैंने उनसे हेलमेट छीन लिया और कहा एक हेलमेट के लिये 13 हजार रुपये, ये बकवास है, अब तुम इस हेलमेट को तभी पहनोगे, जब इसके काबिल बन जाओगे, मैंने वो हेलमेट आलमीरा पर रख दिया, ताकि वो उसे रोजाना देख सके, जब यशस्वी ने रणजी में डेब्यू किया, तो मैंने उन्हें वो हेलमेट दिया, उसी दिन मुझे एहसास हो गया, कि उन्हें जो भी लक्ष्य देंगे, वो उसे हासिल कर लेंगे।

यशस्वी की जर्सी पर कोच की जन्मतिथि
ज्वाला सिंह यूपी के गोरखपुर के रहने वाले हैं, जब उनसे पूछा गया कि अब यशस्वी कामयाब हो गये हैं, उनके पास आईपीएल कांट्रेक्ट भी है, तो क्या उन्होने कभी कोई तोहफा दिया है, इस पर उन्होने मुस्कुराते हुए कहा कि आपने उनकी जर्सी का नंबर देखा है, दरअसल वो मेरी जन्मतिथि है, इससे ज्यादा मैं उनसे क्या मांग सकता हूं, ज्वाला सिंह 2015 से 2018 के बीच पृथ्वी शॉ के भी कोच रहे हैं, उन्होने कहा कि मेरी बेटी की जन्म से पहले यशस्वी ही मेरे लिये बेटे जैसा था, अब वो मेरी बेटी का बड़ा भाई बन चुका है, यहां तक कि मेरी बेटी भी उनके लिये लकी रही है, जिस दिन 6 दिसंबर 2017 को उनका जन्म हुआ, उस दिन यशस्वी ने मुंबई अंडर 19 के लिये दोहरा शतक लगाया था।