चीन – सिर्फ कानून कड़े नही हैं उसका पालन कराने वाले भी बेहद कट्टर हैं

चीन ऐसा देश है जहां सरकार के फैसले पर किसी को टांग अड़ाने की अनुमति नही है। चीन में बुर्के पर रोक लगाई गई लेकिन इसके खिलाफ मुस्लिम देश न कुछ बोले न ही चीन ने कुछ सुना ।

New Delhi, Feb 10 : अपने तरीके से रहता है चीन । कोरोना वायरस से इन दिनों चीन बुरी तरह प्रभावित है वुहान में 24 हजार लोग इसके कारण मरे है । लेकिन चीन के आधिकारिक बयान में 600 के आसपास की मौत की बात कही जा रही है। यह देश इतना रहस्यपूर्ण है कि सच्चाई बाहर नही निकले इसके लिए सरकार हर प्रतिबन्ध लगाती है ।

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केवल कानून कड़े नही हैं उसका पालन कराने वाले भी बेहद कट्टर हैं। उनके लिए अंतरराष्ट्रीय नियम , संस्थाएं और मान्यताएं कोई मतलब नही रखती । खबर लीक हुई है कि चीन के प्रशासन ने वुहान में कोरोना वायरस से पीड़ित 20000 लोगों को मारने के लिए अदालत से गुहार लगाई है। इतने बड़े पैमाने पर आधिकारिक नरसंहार की कल्पना चीन में ही की जा सकती है। वर्षो पहले यहाँ देन आन मन चौक पर हजारों प्रदर्शनकारी छात्रों को टैंक से कुचलने की घटना का गवाह दुनिया रहा है लेकिन किसी की हिम्मत नही हुई कि उसपर कोई उंगली उठाये । चीन के खिलाड़ियों को लेकर मैंने एक रिपोर्ट लिखी थी कि किस तरह से अमानवीय तरीके से ट्रेनिंग देकर उन्हें तैयार किया जाता है।

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तीन चार साल के बच्चों को खिलाड़ी बनाने के लिए जितना शारीरिक टॉर्चर किया जाता है उतने में तो भारत मे मुहल्ले के मुहल्ले लोग मानवाधिकार हनन के मामले में जेल में ठूंस दिए जाते ।फिर विश्वव्यापी कोहराम मचता कि भारत मे मानवाधिकार का हनन हो रहा है। बहरहाल चीन में अभी कोरोना वायरस से मरने वालों को अग्नि संस्कार करने का फरमान जारी हुआ है। ऐसा इसलिए कि कोरोना वायरस से ग्रसित मृत्युप्राप्त शरीर किसी और को नुकसान न पहुचाये । जिस देश मे मृत्युपरांत दफन करने की परंपरा है या जिस जिस कौम मे दाह संस्कार की प्रथा नही है वे चीन के इस फरमान पर दुनिया सिर में उठा लेती । यह धार्मिक स्वतंत्रता का हनन है ।

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लेकिन चीन ऐसा देश है जहां सरकार के फैसले पर किसी को टांग अड़ाने की अनुमति नही है। चीन में बुर्के पर रोक लगाई गई लेकिन इसके खिलाफ मुस्लिम देश न कुछ बोले न ही चीन ने कुछ सुना । चीन के कई प्रान्तों में घुसपैठी मुस्लिमों के लिए डिटेंशन सेंटर खोले गए हैं लेकिन इसे लेकर कोई आवाज नही उठती । सच तो यह है चीन में लोकतंत्र के नाम पर अराजकता फैलाने की कोई गुंजाइश नही है । वहां आम चुनाव नही होते । केवल शासकों के आंतरिक जिमनेवारियाँ बदली जाती है । अभी जो राष्ट्र प्रमुख है वे जब तक जीवित है प्रमुख बने रहेंगे । यह सामंतशाही है लेकिन इसका विरोध न चीन के भीतर होता है न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर । कहते हैं न कि समरथ को नही दोष गोसाईं ।

(वरिष्ठ पत्रकार योगेश किसलय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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