दंगाई के पिस्टल के सामने सीना ताने खड़े हुए कांस्टेबल ने बताया उस वक्त का पूरा हाल, दुनिया कर रही सलाम

सोमवार की घटना को याद करते हुए उन्होने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि मेरी तैनाती मौजपुर चौक पर थी, अचानक ही चीजें बदलने लगे, माहौल हिंसक हो गया।

New Delhi, Feb 26 : अगर मेरे सामने कोई मर जाता, तो मुझे बहुत दुख होता, हमेशा तकलीफ होती, ये कहना है उस जांबाज हेड कांस्टेबल दीपक दहिया का जिसने सोमवार को पिस्टल से लगातार फायरिंग कर रहे एक दंगाई के सामने अपना सीना तानकर खड़े रहे, तब उनके हाथ में सिर्फ एक लाठी थी, दंगाई उनकी ओर पिस्टल ताने हुए था, लेकिन दहिया डरे नहीं और टिके रहे।

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सोनीपत के रहने वाले
31 वर्षीय दीपक दहिया मूल रुप से हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले हैं, साल 2010 में बतौर कांस्टेबल दिल्ली पुलिस में उनकी भर्ती हुई थी, फिर उन्होने डिपार्टमेंट एग्जाम पास कर हेड कांस्टेबल बन गये, फिलहाल वजीराबाद में ट्रेनिंग ले रहे हैं। उनका वीडियो सोशल मीडिया पर जबरदस्त वायरल हो रहा है।

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माहौल हिंसक हो गया
सोमवार की घटना को याद करते हुए उन्होने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि मेरी तैनाती मौजपुर चौक पर थी, अचानक ही चीजें बदलने लगे, माहौल हिंसक हो गया, लोग एक-दूसरे पर पत्थर फेंकने लगे, मैं हिंसा वाली जगह की ओर जैसे ही बढा, फायरिंग की आवाज सुनाई दी, मैंने देखा, कि लाल शर्ट पहने एक शख्स पिस्टल से फायरिंग कर रहा है, मैं तुरंत सड़क के दूसरी तरफ लपका, ताकि उसका ध्यान बंट सके।

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ट्रेनिंग दी जाती है
दीपक दहिया ने बताया कि पुलिस वालों को यही ट्रेनिंग दी जाती है कि ऐसी परिस्थितियों में आम लोगों की जिंदगी को खुद से ऊपर रखे, उन्होने कहा कि वो आगे बढ रहा था, मैं उसका ध्यान बंटाने के लिये उसकी तरफ बढा, मैं नहीं चाहता था कि वो कोई अन्य रास्ते में आए, मेरी प्राथमिकता ये सुनिश्चित करने की थी, कि कोई हताहत ना हो, ये पूछने पर कि उस समय आपके दिमाग में क्या चल रहा था, तो उन्होने कहा कि काम है मेरा करना ही है।

परिवार सोनीपत में रहता है
दीपक की पत्नी और दो बेटियां सोनीपत में ही बाकी परिवार के साथ रहती हैं, मंगलवार सुबह तक उन लोगों को पता नहीं था कि दहिया एक तरह से सामने खड़ी मौत के आगे डटे थे, उन्होने कहा कि मैंने परिवार वालों को कुछ नहीं बताया, कि वीडियो और तस्वीरें वायरल होने के बाद मुझे पत्नी ने फोन किया, वो बहुत घबराई हुई और चिंतित थी, मैंने बातों को टालने की कोसिश की, मैंने कहा कि वो मैं नहीं हूं, इसके बावजूद वो मुझे पहचान गई, दीपक का ताल्लुक ऐसे परिवार से है, जिसके कई सदस्य सुरक्षा बलों में हैं, उनके पिता इंडियन कोस्ट गार्ड से रिटायर हैं, तो उनके दो छोटे भाई एक उनकी तरह ही दिल्ली पुलिस में हैं, तो दूसरा कोस्ट गार्ड में।