टीम इंडिया के स्टार का छलका दर्द, मां पैसे बचाने के लिये 8 किमी पैदल चलती थी, प्रेरणादायक है स्टोरी

अजिंक्य रहाणे ने अपने ट्रेन के सफर के बारे में बताया कि जब वो 7 साल के थे, तो पहले दिन उनके पिता उनके साथ गये, उन्हें डोंबिवली से सीएसटी तक छोड़ा।

New Delhi, Mar 01 : टीम इंडिया के क्रिकेटरों के संघर्ष के कई किस्से मशहूर हैं, लेकिन इस कहानी से ज्यादातर लोग आज भी अनजान हैं, दरअसल ये कहानी है टीम इंडिया के टेस्ट उपकप्तान अजिंक्य रहाणे की, दायें हाथ के इस बल्लेबाज को इस समय दुनिया के सबसे स्टाइलिश बल्लेबाजों में गिना जाता है, रहाणे ने 2011 में इंग्लैंड दौरे पर भारतीय टीम के लिये डेब्यू किया था, इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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संघर्ष के बारे में बात की
हाल ही में रहाणे ने अपनी पर्सनल लाइफ के संघर्षों के बारे में खुलकर बात की, उन्होने बताया कि उनके क्रिकेटर बनने का सपना पूरा करने में उनसे ज्यादा उनकी मां ने मेहनत की है, इंडिया टुडे से बात करते हुए अजिंक्य रहाणे ने अपने संघर्ष के दिनों को याद किया, उन्होने बताया कि उनकी मां उनके ट्रेनिंग के 8 किमी पैदल चलती थी, क्योंकि वो लोग रिक्शे का खर्चा नहीं उठा सकते थे।

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एक हाथ में भाई, दूसरे में किट बैग
रहाणे ने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, ट्रेनिंग के लिये उनकी मां उन्हें छोड़ने जाती थी, तब मां एक हाथ से उनके छोटे भाई को पकड़े रहती थी और दूसरे हाथ में किट बैग लेकर 8 किमी पैदल चलती थी, रहाणे ने बताया कि सप्ताह में एक बार ही हम रिक्शे में सफर कर पाते थे, बाकी दिन पैदान ही ट्रेनिंग के लिये जाते थे।

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रिक्शे की जिद करता था मैं
स्टार बल्लेबाज ने बताया कि कई बार मैं इतना थक जाता था कि मैं से रिक्शे में घर लौटने की जिद करता था, लेकिन मां कोई जवाब नहीं दे पाती थी, रहाणे ने बताया कि वो अपने माता-पिता की वजह से आज यहां तक पहुंच पाये हैं, वो आज भी उनके लिये वहीं छोटे वाले रहाणे हैं।

पिता लोकल ट्रेन में छोड़ देते थे
रहाणे ने अपने ट्रेन के सफर के बारे में बताया कि जब वो 7 साल के थे, तो पहले दिन उनके पिता उनके साथ गये, उन्हें डोंबिवली से सीएसटी तक छोड़ा, फिर काम पर गये, फिर अगले दिन पिता ने कहा कि अज्जू अब तुम्हे अकेले ही सफर करना होगा, इसके बाद पिता डोंबिलसी स्टेशन पर छोड़ देते थे, जहां से रहाणे लोकल ट्रेन लेते थे, लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि उनके पिता दूसरे डिब्बे में उनकी पीछे ही होते थे, वो सीएसटी तक देखते थे कि उनका बेटा अकेले सफर कर सकता है या नहीं, रहाणे ने बताया कि उन्हें वो सारे त्याग याद हैं, जो उनके परिवार ने उनके लिये किये।