मेरे दिलबर से सवाल मत करो, तुम इसके कामों पर बवाल मत करो…बाकी सुन साहिबा सुन, प्यार की धुन …!

दिलबर की ये स्वयंभू महबूबाएं आपकी पोस्ट पर लिखेंगी : इस महान विभूति ने दूध जैसी विचारधारा को स्वर्ग से उतार कर भारत माता के मस्तक पर चढ़ाया है और तुम हो कि देशद्रोही कुछ देख नहीं पाते।

New Delhi, Mar 09 : एक दौर था जब सत्ताधीशों से प्रश्न पूछना नागरिक अधिकार समझा जाता था। मीडिया का यह प्रथम कर्तव्य हुआ करता था। लेकिन अब हालात कुछ ज़्यादा ही उलट गए हैं। अब प्रश्न पूछना तो जैसे पाप कर देना है। प्रश्न पूछना है तो सत्ता के लोगों से मत पूछिए, विपक्ष के लोगों से पूछिए। उंगलियां उठानी हैं तो अपराधियों पर मत उठाइए, प्रतिपक्ष में बैठे लाेगों पर उठाइए। इतिहास में बीत गए लोगों पर उठाइए। क्योंकि हमारा प्रिय सत्ताधीश, हमारे प्रिय शासक अब आलोचनाओं से परे हैं, क्योंकि हम नागरिक नहीं, हम नायिकाएं हो गए हैं!

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अभी जो देश में माहौल है, उसमें बहुत से लोगों का हालेदिल कुछ-कुछ ‘राम तेरी गंगा मैली’ की नायिका की मनाेदशा जैसा है। नागरिकों का यह अति भावुक तबका उस नायिका जैसा व्यवहार कर रहा है, जो गा रही है : दिल तुझपे वारा है, जान तुझपे वारूंगी। हो कर ले कबूल, तुझे बड़ा होगा पुन। सुन साहिबा सुन, प्यार की धुन! इनकी हालत उस मज़बूर हसीना की तरह होती है, जो बेखुदी में कदम पहले बढ़ाती है और सत्ताधीश उसी का फ़ायदा उठाता है। यह नायिका बने नागरिकों को भी पता है, लेकिन सत्ताधीश के प्रेम में वे सुधबुध खो चुकी हैं और गा रही हैं : मेरा ही ख़ून-ए-ज़िगर देता गवाही मेरी, तेरे ही हाथों लिखी शायद तबाही मेरी। इन्हें अपनी तबाही में भी आनंद आ रहा है। मज़ा आ रहा है। इनकी आहों और सीत्कार को महसूस कीजिए!

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इसलिए, कोई सत्ता पर सवाल करेगा तो दिल से मज़बूर ये हसीनाएं तुम्हें कम्युनिस्ट कहेंगी। देशद्रोही पुकारेंगी। आपको कांग्रेसी बताएंगी। क्योंकि इन हसीनाओं के दिमाग़ के विवेक तंतुओं काे उखाड़कर उसकी जगह एक सत्ताप्रेम की खूंटी रोप दी गई है। इन हसीनाओं की बुद्धि उसी से बंधी रहती है। इसलिए तुम जब-जब इनके दिलबर सत्ताधीश की आलोचना करोगे तो ये ऐसी ही प्रतिक्रयाएं देंगी, क्योंकि ये मैंने तुझे चुन लिया, तू भी मुझे चुन वाले अंदाज़ में आ चुकी हैं। ऐसा नहीं कि ये सिर्फ़ वर्तमान सरकार की हैं। ये हर सरकार की हुआ करती हैं। अब सत्ता में अगर संघ समर्थक हैं तो ये आपको कम्युनिस्ट या कांग्रेसी कहेंगी, लेकिन अगर सत्ता में कांग्रेस है तो आप संघी या भाजपाई कहे जाओगे और अगर सत्ता में कहीं कम्युनिस्ट हैं और अाप उनकी आलोचना करेंगे तो आप फ़ासिस्ट कह दिए जाएंगे। अपनी-अपनी हसीनाएं और अपने-अपने दिलबर!

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इसलिए जो आज वर्तमान सत्ता से किए जा रहे प्रश्नों पर तिलमिला रहे हैं या प्रश्न करने वालों को बुरा-भला कहे जा रहे हैं तो चिंता मत करो। आप इन्हें राम तेरी गंगा मैली की हसीनाएं मानकर माफ़ कर दो। ये सबके सब हिज़ मास्टर्स वॉयस होते हैं। जैसा मास्टर कहेगा, वैसा ये करेंगे। ये नए जमाने के एचएमवी हैं। ये ऐसे मास्टर्स की वॉयस हैं, जो इन्हें रोटी भी नहीं देते। ये हर विचारधारा और हर राजनीतिक दल के होते हैं। ये जीवित शव होते हैं। उनके मस्तिष्क में विवेकशीलता नहीं होती। ये ग़लत को ग़लत कहने की हिम्मत नहीं रखते। इनके लिए इनकी पसंद की पार्टी में सब कुछ अच्छा ही अच्छा होता है और दूसरे के यहां ख़राब ही ख़राब। क्योंकि ये तेरे लिए साहिबा नाचूंगी, तेरे लिए गाऊंगी वाले अंदाज वाली हसीनाएं होती हैं।

हम भले सोचें कि ये निद्रा तम के शून्य शिविरों के वासी हैं। इसलिए कोई भाजपा-कांग्रेस के शिविर में है तो कोई कांग्रेसी शिविर में। कोई आम आदमी तो कोई समाजवादी या बसपावादी खेमे में। इनके कोई स्वप्न नहीं होते। इनकी निश्चल आंखें अपने प्रिय दल के अतिप्रचारित विचारों की ओट में मिचमिचाती काली पड़ती रहती हैं। जिस समय सत्ता के बुरे कामों के प्रभावों से इनके ओंठ सूख रहे हों तो भी इन्हें भरसक दिखाना पड़ता है कि इस समय का स्वाद बहुत रसवंती है। लेकिन सच तो ये है कि ये असल में सत्ताधीश की हसीनाएं होती हैं। डाल दे निगाह आैर कर दे प्यार का शगुन वाले मूड में लालयित!

ये अदभुत किस्म हसीनाएं हैं। इन्हें कोई द्रव्य नहीं मिलता, लेकिन ये फिर भी अपने आका से प्रेम करती हैं। आका आज के नरेंद्र मोदी हों या ग़ुलाम वंश के कुतुबुद्दीन ऐबक! शासक से प्रेम करना इनका धर्म है। ये कभी उसके विरुद्ध सोच ही नहीं पातीं। अगर इनका प्रिय शासक शक्तिहीन हो, देश में दुर्बलों पर अत्याचार हो रहे हों, बालिकाओं से बलात्कार हो रहे हों, कमज़ोर तबकों के लोगों पर अमानुषिक अत्याचार हो रहे हों तो इनके मन में सत्ताधीश के प्रति क्रोध नहीं आता, क्योंकि ये हमेशा उसके लिए नाचूंगी और गाऊंगी वाले अंदाज में बलइयां लेती हैं। इन्हें सत्ताधीश के निर्लज्ज मुस्काते ढीठ व्यवहार में सदा यौवन ही यौवन नज़र आता है और उस पर इन्हें अपार अभिमान भी रहता है।

ये बेचारी न देश का सोच पाती हैं और न काल का। ये बस तेरी धरोहर तेरी निशानी लिए फिरूँ मैं बनी दीवानी भुलाने वाले कभी तो आजा वाले अंदाज़ में कलपती रहती हैं। आप कहेंगे, ओ राम के अवतार, तेरी गंगा मैली हो रही है। देश में बेरोज़गारी भरपूर है। लोग भुखमरी के शिकार हैं। स्कूल और अस्पताल खराब हैं। देश के लोगों में हर रोज़ दंगा-फ़साद हो रहा है। आपने बस इतना सा कहा तो ये दीवानियां तत्काल उठेंगी और आप पर पिल पड़ेंगी : आप जैसे पापियों के पाप धोते धोते … राम तेरी गंगा मैली हो गई! और संयोग से इन दिनों आपने कुछ लिख दिया तो आप कम्युनिस्ट पापी कहे जाएंगे औ आपको जलते अक्षरों में समझाया जाएगा कि धूर्तो इस धरती को ये आदमी कितना पावन बनाने आया था और तुम कामी, क्रोधी, लोभी, खल, अज्ञानी कम्युनिस्टों ने सारा सत्यानाश कर दिया। पहले क्यों नहीं बोले, आज बोलते हो!

दिलबर की ये स्वयंभू महबूबाएं आपकी पोस्ट पर लिखेंगी : इस महान विभूति ने दूध जैसी विचारधारा को स्वर्ग से उतार कर भारत माता के मस्तक पर चढ़ाया है और तुम हो कि देशद्रोही कुछ देख नहीं पाते। इसकी बूंदों में है जीवन, इसकी लहरो में किनारा, ये कभी नहीं हारा। औरों का कलंक सर ढ़ोते राम तेरी गंगा मैली हो गई पापियों के पाप धोते-धोते हो ओ… राम तेरी गंगा मैली हो गई इन कामियों वामियों पापियों के पाप धोते-धोते। हर हर गंगे हर हर गंगे! हमारे महबूब की आत्मा है इक सच्चा हीरा। इस हीरे को मत झूठा कहना! हमारे महबूब को ताने मत मारो इसकी आरती उतारो! इसे देवता कह के पुकारो! मन की आँखों से निहारो! राम तेरी गंगा मैली हो गई कांग्रेसी पापियों के पाप धोते धोते! देशद्रोही क्युनिस्टों के मैल धोते-धोते हर हर गंगे… हर हर गंगे… हर हर गंगे… हर हर गंगे…!

(Tribhuvun के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)