सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद क्या कमलनाथ बचा पाएंगे सरकार? जानिये पूरा सियासी गणित

मौजूदा राजनीतिक हालात के बाद विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गई है, स्पीकर को सभी 22 विधायकों के इस्तीफे मिल गये हैं।

New Delhi, Mar 12 : मध्य प्रदेश में सियासी भूचाल आया हुई है, सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ की मुश्किलें बढ गई है, 22 विधायकों ने एक साथ इस्तीफा दे दिया है, ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या कमलनाथ अपनी सरकार बचा पाएंगे, या फिर बीजेपी की एक बार फिर से वापसी होगी, आइये आंकड़ों और संविधान के नियमों के मुताबिक इसे समझने की कोशिश करते हैं।

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विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका
मौजूदा राजनीतिक हालात के बाद विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गई है, स्पीकर को सभी 22 विधायकों के इस्तीफे मिल गये हैं, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक विधानसभा अध्यक्ष को सात दिनों में फैसला लेना होगा, एनपी प्रजापति का कहना है कि वो सभी विधायकों से मुलाकात के बाद ही कोई फैसला लेंगे, दरअसल ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या वो किसी के दबाव में इस्तीफा दे रहे हैं, या फिर अपने मन से।

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विधानसभा की मौजूदा तस्वीर
एमपी में कांग्रेस के 114 विधायक हैं, जिसमें से 22 ने इस्तीफा दिया है, अगर विधानसभा स्पीकर इन्हें स्वीकार कर लेते हैं, तो विधानसभा में सदस्यों की संख्या 206 हो जाएगी, जबकि कांग्रेस के विधायकों की संख्या घटकर 92 पर पहुंच जाएगी, दूसरी ओर बीजेपी के विधायकों की संख्या 107 है, इसके अलावा 4 निर्दलीय, 2 बसपा और 1 सपा के विधायक हैं, जो अभी कांग्रेस के समर्थन में हैं, अगर ये सब अभी भी कांग्रेस का समर्थन करते हैं, तो कांग्रेस समर्थिक विधायकों की संख्या 99 तक पहुंचेगी।

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क्या कहता है नियम
संविधान के नियमों के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष इस्तीफा देने वाले सभी 22 विधायकों को पूरे कार्यकाल के लिये अयोग्य घोषित नहीं कर सकते, शायद आपको याद होगा कि पिछले साल कर्नाटक में विधानसभा अध्यक्ष ने इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के बागी विधायकों को हमेशा के लिये अयोग्य घोषित कर दिया था, जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, कोर्ट ने सभी विधायकों को उपचुनाव लड़ने की छूट दी।

राज्यपाल की भूमिका
दूसरी ओर एमपी के मौजूदा गवर्नर लालजी टंडन की भी पूरे घटनाक्रम पर पैनी नजर है, 16 मार्च से बजट सत्र शुरु हो रहा है, इसी सत्र में सरकार का भविष्य भी तय हो सकता है, अगर सरकार बजट पारित कराने में असफल रही, तो फिर सरकार का गिरना तय माना जा रहा है।

मध्यावधि चुनाव
आपको बता दें कि एमपी विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 230 है, संविधान के जानकार के मुताबिक अगर आधे से ज्यादा सदस्य इस्तीफा दे देते हैं, तो फिर राज्यपाल इस पर फैसला ले सकते हैं, हालांकि ये राज्यपाल के विवेक पर निर्भर करेगा, कि वो सदन को भंग कर मध्यावधि चुनाव की सिफारिश करें या फिर सिर्फ खाली सीटों पर ही उपचुनाव कराएं।