राजस्थान- 25 करोड़ के विज्ञापन दिये, सिर्फ गहलोत की तस्वीर, सचिन पायलट का कुछ अता-पता नहीं

इन विज्ञापनों में सिर्फ सीएम अशोक गहलोत की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है, किसी भी विज्ञापन में उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की कोई भी तस्वीर प्रकाशित नहीं की गई है।

New Delhi, Mar 13 : राजस्थान की सत्ताधारी कांग्रेस सरकार ने पिछले एक साल में करीब 25 करोड़ रुपये के विज्ञापन अलग-अलग अखबारों और न्यूज चैनलों के दिये हैं, लेकिन इन विज्ञापनों में सिर्फ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ही तस्वीर प्रकाशित की गई है, उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की एक भी तस्वीर किसी भी विज्ञापन में नहीं दिखती, राजस्थान के स्टेट इंफोरमेशन एंड पब्लिक रिलेशन डिपार्टमेंट ने इस बात की पुष्टि की है।

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आरटीआई से जवाब
मालूम हो कि वकील सहीराम गोदारा ने एक आरटीआई लगाकर राजस्थान सरकार से इस संबंध में जवाब मांगा था, आरटीआई के जवाब में राजस्थान के इंफोरमेशन एंड पब्लिक रिलेशन विभाग ने जानकारी दी, कि दिसंबर 2018 से लेकर नवंबर 2019 के बीच राज्य सरकार द्वारा 62 एजेंसियों जिनमें राष्ट्रीय और क्षेत्रीय न्यूजपेपर्स भी शामिल हैं, उन्हें करीब 25 करोड़ रुपये के विज्ञापन दिये गये।

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सिर्फ गहलोत की तस्वीर
इन विज्ञापनों में सिर्फ सीएम अशोक गहलोत की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है, किसी भी विज्ञापन में उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की कोई भी तस्वीर प्रकाशित नहीं की गई है, जब इंडियन एक्सप्रेस ने इस भेदभाव को लेकर अशोक गहलोत से बात की, तो उन्होने कहा कि उनकी सरकार सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन कर रही है।

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क्या है नियम
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार प्रधानमंत्री या विभागीय मामलों में कैबिनेट मंत्री की तस्वीरें ही प्रकाशित की जा सकती है, यदि जरुरी हो तो, नहीं तो तस्वीर ना हो तो और अच्छा, वहीं राज्यों में सिर्फ सीएम और उस विभाग के कैबिनेट मंत्री की तस्वीर विज्ञापन में प्रकाशित की जा सकती है, डिप्टी सीएम सचिन पायलट से जब इस बारे में सवाल पूछा गया, तो उन्होने कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया।

खींचतान
मालूम हो कि एमपी के युवा नेता सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है, कहा जा रहा है कि सीएम कमलनाथ के साथ उनके अहम के टकराव की वजह से उन्होने ऐसा फैसला लिया, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच भी ऐसा टकराव चलता रहा है, दोनों ही राज्यों में इसे कांग्रेस के बुजुर्ग और युवा नेतृत्व के बीच जारी खींचतान के तौर पर देखा जाता है।