“रामायण” की दूरदर्शन पर रिकार्ड तोड सफलता कहीं से नहीं चौंकाती

रामायण ने पहले भी रिकॉर्ड बनाए थे। इस टीवी सीरीज को 82% व्यूअरशिप मिली थी। ये किसी भी टीवी सीरीज के लिए रिकॉर्ड है।

New Delhi, Apr 07 : कोरोना वायरस के चलते देश मे घोषित 21 दिनी लाकडाउन के दौरान लोग अपने घरों मे ही रहें, यह सोच कर जब सूचना प्रसारण मंत्री जावेडकर ने दूरदर्शन पर एक बार फिर रामायण धारावाहिक दिखाने की घोषणा की तब लगा कि दर्शक शायद ही इससे मुखातिब होगा। आज मोबाइल एप्स और मुख्य धारा के मनोरंजन टीवी चेनल्स को तेजी के साथ अप्रासंगिक करती जा रही वेब सिरीज के दौर में 33 बरस पुराने सीरियल रामायण को कौन देखना चाहेगा उसी ललक के साथ ? लेकिन नहीं, इसके रिकास्ट ने तो कमाल ही कर दिया और जो यह कह कर आलोचना करने में लगे थे कि इसकी टीआरपी सामान्य से ऊपर नहीं हो सकेगी, उनको रामानंद सागर निर्मित इस मेगा सीरियल ने गलत साबित कर दिया।

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उन आलोचकों को अपने शब्द इसलिए भी निगलने पड रहे हैं कि वे भगवान राम की भारतीय जनमानस में गहरी पैठ की महत्ता को शायद भुला बैठे थे। एक सनातनधर्मी के लिए राम सब कुछ है, खुशी में गम में, दुख में सुख में,जन्म मे मृत्यु में, हर जगह तो मर्यादा पुरुषोत्तम व्याप्त हैं। उनके नाम पर कुछ भी देखने, सुनने और पढने की कोई सीमा नहीं है। फिर, स्मृति शेष रामानंद सागर फिल्म में आने के पहले कथावाचक थे, राम के मर्म को एक व्यास से ज्यादा और कौन समझ ही सकता है।

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मुझे याद है कि 1987 में इसका देश के एकलौते चैनल दूरदर्शन पर जब रविवार की सुबह प्रसारण होता था, देश मानो थम जाता था। सडकों, गलियों, बाजारों में कर्फ्यू जैसे हालात होते थे। तब आज की तरह हर घर मे टीवी सेट नहीं हुआ करते थे। मोहल्ले मे जिस घर मे टीवी होता था, आस पडोस के लोगों का वहां जमघट लग जाता। रामायण की घटनाओं पर दर्शकों की प्रतिक्रिया देखने योग्य हुआ करती थी। धनुष यज्ञ हो या रावण वध इलाके मे आतिशबाजी और पटाखो की गूंज दूर तक सुनी जाती। धारावाहिक के पात्रों का उसी तरह आदर हुआ करता था। राम, सीता, हनुमान और रावण इसी नाम से संबोधित किए जाने लगे थे।

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जब इसका पुनर्प्रसारण आरंभ हुआ तो अपने अपार्टमेंट मे ही नहीं सोसाइटी मे लगभग सभी जगह दूरदर्शन की वैसी ही तीन दशक पहले जैसी पूछ दिखी। खुद मेरे बेटे और बहू तब बहुत छोटे थे।हालांकि यू ट्यूब पर दोनो इसके काफी अंश देख चुके हैं ।फिर भी सुबह शाम रामायण इनकी दिनचर्या का जरूरी हिस्सा बना हुआ है। पत्नी विमला तो अपनी सासु माँ की तरह राम भक्त है। ताज्जुब तो हुआ अपने पौत्र निवान पर। इसी महीने की 30 तारीख को जीवन के पांच वर्ष पूरे करने जा रहे निवान इस युग के बच्चों की तरह पोगो, स्पाइडर मैन, एवेन्जर्स एडिक्ट हैं। हालांकि दो वर्ष के थे तब उनकी पहली पसंद बाल गणेश और बलवीर हनुमान ही थे। खास तौर से हनुमान जी की फिल्में यू ट्यूब पर देखने के कारण राम के प्रति उनकी अपार श्रद्धा तब भी थी।अब जब यह सीरियल शुरू हुआ तो ये महाराज पापा- मम्मी के साथ समय पर जम जाते है।

इसीलिए जब बार्क के अनुसार रामायण के दूरदर्शन पर दुबारा प्रसारण ने रेटिंग मे जबरदस्त उछाल पायी है तो कहीँ से आश्चर्य नहीं हुआ।
पीआईबी के ट्वीट में लिखा है- बार्क के अनुसार, दूरदर्शन पर रामायण के री-टेलीकास्ट ने हिंदी GEC (जनरल एंटरटेनमेंट चैनल) शो कैटिगरी में 2015 के बाद से अभी तक की उच्चतम रेटिंग पाई है।
According to BARC, the re-telecast of #RAMAYAN, garnered the highest ever rating for a Hindi GEC show since 2015 when BARC started measuring TV audience

प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर ने भी इसकी जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि 2015 में जब से बार्क ने टीवी ऑडियंस मेजरमेंट शुरू किया तबसे रामायण की वजह से दूरदर्शन ने भी रिकॉर्ड बना दिया है। इससे साफ है कि कोरोना से जंग के दौरान लोग रामायण देखना सबसे ज्यादा पसंद कर रहे है।
रामायण ने पहले भी रिकॉर्ड बनाए थे। इस टीवी सीरीज को 82% व्यूअरशिप मिली थी। ये किसी भी टीवी सीरीज के लिए रिकॉर्ड है। हालांकि तब दूरदर्शन के सामने कोई निजी चैनल नहीं थे। मगर आज चैनलों की भीड के बावजूद इसकी जबरदस्त सफलता का श्रेय सीरियल के निर्माता के साथ ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के प्रति जनमानस की अपार भक्ति को भी निर्विवाद जाता है।

मेरे जैसे तब के युवा आज अपने पोते पोतियों के साथ दूरदर्शन पर रामायण के इस री-टेलीकास्ट को देख रहे हैं। भगवान राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल भीअपवाद नहीं । वह भी अपने पोतों के साथ रामयाण देखने का लुत्फ उठा रहे हैं। याद आ रहा है पंडित भीमसेन जोशी और लत मंगेशकर का गाया यह भजन, ” राम का गुणगान करिये, राम प्रभु की सभ्यता का भव्यता का ध्यान धरिये “। जय श्रीराम

(वरिष्ठ पत्रकार पद्मपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)