रावण वध के बाद पत्नी मंदोदरी ने कर ली थी दूसरी शादी, इन्हें मान लिया था अपना सर्वस्व, रोचक कथा
रावण वध के बाद श्रीराम तो पत्नी सीता को लेकर अयोध्या वापस चले गए लेकिन रावण की पत्नी मंदोदरी का क्या हुआ । आगे पढ़ें ये जानकारी ।
New Delhi, Apr 18 : रावण की मृत्यु के बाद भगवान श्रीराम अयोध्या वापस लौट गए, लेकिन उससे पहले उन्होने रावण के भाई विभीषण को लंका की सत्ता सौंपी । लेकिन एक प्रश्न ये भी उठता है कि आखिर इसके बाद रावण के परिवार का क्या हुआ ? क्या हुआ उनकी प्रिय पत्नी मंदोदरी का, अपने तीनों पुत्रों को खो चुकीं मंदोदरी ने आगे अपना जीवन कैसे बिताया । ये सभी सवाल अगर आपके भी मन में आ रहे हैं, तो चलिए इन प्रश्नों का उत्तर जानते हैं, शुरुआत मंदोदरी से करते हैं, कौन थीं मंदोदरी ।
देवलोक में अप्सरा थीं मंदोदरी, श्राप मिला था
हिन्दू पुराणों की एक कथानुसार मधुरा नामक एक अप्सरा जब कैलाश पर्वत पर पहुंची तो देवी पार्वती को वहां ना पाकर भगवान शिव को आकर्षित करने लगी । जब पार्वती वहां पहुंचीं तो शिव की देह भस्म को मधुरा के शरीर पर देखकर क्रोधित हो गईं । गुस्से में आकर उन्होने मधुरा को अगले 12 वर्षों तक मेंढक बनने का श्राप दे दिया । भगवान शिव के पार्वती को समझाने के बाद उन्होने श्राप में ढील दी और कठोर तप के बाद मधुरा को एक वर्ष में अपने रूप में आने की बात कही ।
असुरों के देवता ने पुत्री माना
इसके आगे कथा में कहा गया है कि उसी काल में असुरों के देवता, मायासुर और उनकी अप्सरा पत्नी हेमा अपने दो पुत्रों के बाद एक पुत्री की चाह रखते थे । दोनों ने कठोर तप आरंभ किया, वहीं मधुरा का श्राप काल भी पूरा होने वाला था । माता पार्वती ने उसे जिस कुएं में फेंका था मायासुर भी उसी के पास तप कर रहा था । मधुरा के तप का एक वर्ष पूरा हुआ और वो कुंए से बाहर अपने असली रूप में आ गई, और मदद को पुकारने लगी । तभी मायासुर और उनकी पत्नी ने मधुरा को देखा और उसे बेटी मान लिया । मधुरा का नाम मायासुर ने मंदोदरी रखा ।
रावण-मंदोदरी विवाह
रावण और मायासुर आपस में मित्र थे, मायासुर की गुणवती बेटी मंदोदरी पर एक दिन रावण की नजर पड़ गई । रावण ने मंदोदरी से विवाह करने की इच्छा जताई लेकिन मायासुर ने रावण को मना कर दिया । लेकिन रावण ने जबरन मंदोदरी से विवाह किया । इसके बाद मायासुर ने मंदोदारी से अपना नाता तोड़ लिया । मंदोदरी ने रावण से शादी को इसलिए स्वीकार किया क्योंकि रावण, भगवाव शिव का परम भक्त था । रावण और मंदोदरी के तीन बलशाली पुत्र हुए अक्षय कुमार, मेघनाद और अतिकाय । तीनों ही पुत्र मंदोदारी की सीख ना मानकर असुर पिता की राह पर चले गए ।
रावण वध, विभीषण से पुनर्विवाह
सीता हरण के बाद लंका में एक मंदोदरी ही थीं जिन्होने कई बार रावण से कहा कि वो सीता को लौटा दें । राम-रावण युद्ध में अपने तीनों पुत्रों की मृत्यु के बाद मंदोदरी रावण को लेकर परेशान हो गईं थीं, जब वध की सूचना मिली तो तो मंदोदरी ही युद्ध मैदान में पहुंच गईं और उनके शव को ले जाने की अनुमति मांगी । अपने समल वंश का अंत देखने वाली मंदोदरी इसके बाद पूरी तरह से टूट गई, एकांतवास में रहने लगीं । इस बीच सारा राजपाठ विभीषण ने संभाला । कई महीनों बाद मंदोदरी महल से बाहर आईं । इसके बाद मंदोदरी ने लंकापति विभीषण से विवाह किया, और राज्य संचालन में पति की मदद करने लगीं ।