मदद का इंदौर देखना है तो जरा कुछ देर के लिए बस हाईवे (बाइपास) पर चले जाइए

बेहाल गरीब मजदूरों के लिए इंदौर पुलिस पालनहार बनी हुई है। रोजाना पुलिस के द्वारा इंदौर में 4000 लोगों को खाना और सैकड़ों लोगों को नए जूते-चप्पल की व्यवस्था करवाई जा रही है।

New Delhi, May 17 : दिलदार इंदौर, इंसानियत का इंदौर, मेरे बचपन का इंदौर जहां से मैंने शब्द किखना सीखा था; मदद का इंदौर देखना है तो जरा कुछ देर के लिए बस हाईवे (बाइपास) पर चले जाइए। जैसे ही पता चला कि महाराष्ट्र से लाखों लोग पलायन कर रहे हैं तो राह में पलक पावड़े बिछाने के लिए शहरवासी बाइपास पहुंच गए। नाश्ते में खिचड़ी, चाय, टोस, बिस्किट, पोहा और जलेबी, भोजन में दाल-चावल, सब्जी-पूरी, रोटी-सब्जी से लेकर फल और लू से बचने के भी कई पदार्थ बांटे जा रहे हैं। शुक्रवार सुबह से ही बाइपास पर फल नाश्ते और खिचड़ी के स्टॉल लग गए हैं। यहां से गुजरने वालों को ठंडा पानी भी पिलाया जा रहा है। यहाँ सभी राजनितिक दल साथ हैं- समाज साथ हैं — लोग जिस तरह दौड़ कर उन अजनान, हताश , थके चेहरों की सेवा कर रहे हैं — यह हमारे मुल्क की और मालवा की पहचान है।

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चुनिक लोगों के शरीर में लगातार पैदल चलने से पानी की कमी हो रही है , सो एक स्टाल पर सभी को तरबूज की एक-दो खांप जरुर दी जाती है बाइपास पर भी तरबूज बांटने के दौरान पहले डस्टबिन की व्यवस्था की गई। लोगों को कचरा डस्टस्बिन में डालने की समझाइश भी देते रहे।
रोजाना खाने के साथ ही बच्चों के लिए बिस्किट का भी इंतजाम है .टोल नाके से गुजरने वालों के लिए चप्पल, खाना सभी की व्यवस्था की गई है। जूते और चप्पल भी, ताकि पैदल चलने पर पैरों में छाले न पड़ें
यहा एक तरफ भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने पलायन कर रहे लोगों के लिए टोल नाके के पास सभी प्रकार की व्यवस्था की है। यहां स्टाॅल लगाकर रोजाना श्रमिकों को खाना दिया जा रहा है। इसके अलावा ठंडे पानी की बाेतल, नंगे पैर चल रहे मजदूरों के लिए चप्पल-जूते, बच्चों और बुजुर्गों के लिए फल और बिस्किट का भी इंतजाम किया गया है।

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उसी के पास कांग्रेस नेता रामेश्वर पटेल ने लोगों को शिप्रा तक छोड़ने के लिए ट्रैक्टर रखे, सुबह पोहा-जलेबी, दोपहर में खिचड़ी भोजन, मीठे चावल बना रहे हैं। आगे रानी बाग का अतुल अग्रवाल ग्रुप लोगों के लिए भोजन, बिस्किट, फल और चाय बांट रहा। कार सवार संस्था साथिया पानी की बॉटल बांट रही है। भिचौली मर्दाना के मुकुल बाहेती ने भोजन, केले का स्टॉल लगाया है। आगे रामेश्वर गुड्डा पटेल, भिचौली हफ्सी में चंद्रशेखर मालवीय-विनोद बिलोरिया का भोजन स्टॉल लगा है। इसमें जूते-चप्पल भी रखे। सिमरन रेसीडेंसी में छाछ और नींबू पानी।
सोनवाय टोल पर लोगों के लिए सुबह-शाम भोजन। पिगडंबर में तिल्लोर के युवकों ने खिचड़ी, तरबूज, ठंडे पानी, पोहा-जलेबी की व्यवस्था की है। राऊ गोल चौराहे पर संजय तंवर, अंकुश अठावले, लोकेश पांचाल सहित कई युवकों ने पोहा, चप्पल-जूते, ओआरएस, ग्लूकोज, पीला मरहम (दर्द नाशक) और ठंडा पानी रखा है। आगे आरएसएस की सेवा भारती ने भोजन, नमकीन, गमछा, ककड़ी, प्याज, कपड़े और सेंव-परमल रखे हैं। आगे कार सवार रानीपुरा के व्यापारी मित्र मुर्तजा, मुस्तफा और मुस्ताली लोगों को पानी और बिस्किट दे रहे हैं।

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श्रमिकों के लिए स्टॉल में पूड़ी, सब्जी और सेव की व्यवस्था की गई। यहां 24 घंटे भंडारा चालू, भोजन के साथ फल लेना भी जरूरी, न्यूयॉर्क सिटी के मालिक अरुण जैन ने 24 घंटे भंडारा खोला है। भोजन के साथ फल लेना अनिवार्य है। कई ट्रक खरबूजे और तरबूज बंट गए। साथ में छाछ, केले, बच्चों के लिए दूध और बिस्किट भी। तेजाजी नगर में माहेश्वरी समाज खिचड़ी, फल और बच्चों के लिए चने व राजगिरे के लड्डू दे रहा है। एनर्जी के लिए ओआरएस, जलजीरा और इलेक्ट्रॉल। रालामंडल में सांई सेवा समिति की तरफ से चाय-पोहा, खिचड़ी और छाछ। सिल्वर स्प्रिंग में सेवा भारती ने भोजन के साथ रूह अफजाह, सभी नमकीन और बिस्किट व शरबत रखे हैं।
बाइपास पर श्रमिकों के लिए खिचड़ी भी है और चाय और ब्रेड के साथ हर दिन 500 लोगों को दे रहे हैं दवाई का इंतजाम ओमेक्स सिटी के आगे कुछ दोस्तों ने मिलकर किया है। एक निजी अस्पताल के डॉ. एमएस खान सुबह-शाम लोगों को दवाई दे रहे हैं। खान का कहना है कि रोजाना 500 से ज्यादा मजदूर पानी की कमी, उल्टी, दस्त और बुखार की शिकायत लेकर आ रहे हैं। कनाड़िया में पाकिजा के टोस औ चाय के स्टॉल भी लगे हैं।

इस कार्य में उलिस भी पीछे नहीं हैं .बेहाल गरीब मजदूरों के लिए इंदौर पुलिस पालनहार बनी हुई है। रोजाना पुलिस के द्वारा इंदौर में 4000 लोगों को खाना और सैकड़ों लोगों को नए जूते-चप्पल की व्यवस्था करवाई जा रही है। राऊ टीआईदिनेश वर्मा ने बताया कि हमारी टीम द्वारा बाइपास पर गरीबों की भोजन के साथ उनके नए जूते-चप्पल की व्यवस्था भी करवाई गई है। महिला पुलिस बच्चों को जूते चप्पल खुद पहनाती हैं। इंदौर के राऊ से सारे देश को सीख लेना चाहिए , यदि राहत कार्य मिल-जुल कर नियोजित तरीके से हो तो ना तो लूट मचेगी न कोई वंचित रहेगा।

(वरिष्ठ पत्रकार पंकज चतुर्वेदी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)