Success Story: पेट्रोल पंप पर काम करने वाले का बेटा पहली ही कोशिश में बना सबसे कम उम्र का IAS ऑफिसर

प्रदीप सिंह ने साल 2018 में यूपीएससी की परीक्षा पास की थी, उस समय उनकी उम्र सिर्फ 21.5 साल थी । प्रदीप की सफलता की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं ।

New Delhi, Jul 02: माता-पिता के जीवन की कठिनाईयों को देखकर, कष्‍टों से सीखकर, उनके जीवन को बदलने की इच्‍छा मन में ठानकर प्रदीप सिंह ने महज 21 साल में ही यूपीएससी की कठिन परीक्षा को पास कर लिया । प्रदीप यूपीएससी के इतिहास में सबसे कम उम्र के आईएएस में से एक है । साल 2018 में प्रदीप सिंह ने 93 रैंक के साथ यह परीक्षा पास की थी । एक बेहद ही साधारण परिवार से आने वाले प्रदीप के पिता पेट्रोल पंप पर काम करते हैं ।

Advertisement

बिहार मूल के हैं प्रदीप
प्रदीप सिंह बिहार के गोपालगंज के रहने वाले हैं । पिता ने नौकरी और शिक्षा के बेहतर अवसरों की तलाश में बिहार छोड़ इंदौर आना ठीक समझा । पिता की गांव में पैतृक भूमि थी, जिस पर खेती का काम होता था लेकिन कमाई कुछ खास नहीं थी । जिसके चलते उनके घर के पुरुष इंदौर आ गए और महिलाएं बिहार में ही खेती करती रहीं । प्रदीप भी पिता के साथ अच्‍छी पढ़ाई के लिए इंदौर आ गए ।

Advertisement

माता-पिता को खुश करना था ..
प्रदीप ने एक इंटरव्‍यू में बताया था कि उन्हें हमेशा से इस परीक्षा के बारे में नहीं पता था लेकिन बचपन में जब उनके माता-पिता किसी कैंडिडेट की बात करते, जो यह परीक्षा पास कर चुका होता तो ‘अफसर’ शब्द आते ही उनकी आंखें चमक जाती थीं । ये बात प्रदीप के दिल में गहरे उतर गई । बड़े होकर यूपीएससी की परीक्षा देने का निर्णय प्रदीप का खुद का था, लेकिन पूरे परिवार ने उनका साथ दिया और मोटिवेट भी किया । प्रदीप सिंह की पढ़ाई सीबीएसई स्कूल से हुयी, इसके बाद बीकॉम ऑनर्स की पढ़ाई आईआईपीएस डीएवीवी से इंदौर से ही की । प्रदीप के पिता ने उन्‍हें पढ़ाने के लिए खूब मेहनत की । बहुत तरह के काम किए लेकिन ज्‍यादा सफलता हाथ नहीं लगी । पिता ने पेट्रोल पंप पर भी काम किया ।

Advertisement

पिता के संघार्ष से मिली हिम्‍मत
प्रदीप सिंह ने बताया कि यूपीएससी की कोचिंग के लिए जब उन्‍हें दिल्ली शिफ्ट होना था तो वहां का खर्च उठाने के लिए पिता ने अपना घर तक बेच दिया । प्रदीप ने बताया कि पैसों की विकराल समस्‍या होने के बाद भी उनके पिता ने कभी बच्चों तक उसकी आंच नहीं आने दी । कभी भी पढ़ाई के किसी संसाधन को जुटाने के लिए पैसों को देने में असमर्थता जतायी । प्रदीप अपने पिता के इस संघर्ष को समझते थे, इसीलिए वो जानते थे कि वे परीक्षा पास करने में बहुत अधिक समय नहीं लगा सकते ।

पहला अटेम्‍प्‍ट ही आखिरी था …
प्रदीप ने यूपीएससी की तैयारी शुरू करते हुए ही ये बात मन में ठान ली थी कि उनके पास बस यही पहला और आखिरी मौका है । प्रदीप के मुताबिक पिता की स्थिति देखते हुए वो जल्दी से जल्दी अपना मिशन पूरा कर लेना चाहते थे । डेढ साल तक वो बाहरी दुनिया को भूल गए, बस उठना, पढ़ना, खाना-पीना और सोना, यही क्रम वो रोज अपनाते । कठिन परिश्रम का फल भी प्रदीप को मिला, पहली ही बार में परीक्षा पास कर वो सबके लिए प्रेरणा बन गए । प्रदीप ने परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं को सलाह दी है कि कभी किसी के कहने पर या प्रेशर में तैयारी न करें, क्योंकि असली मोटिवेशन आपके अंदर से पैदा होता है ।