किसी के लिये ‘खुदा’ तो किसी के लिये हैवान है विकास दूबे, जानिये गैंगस्टर की इनसाइड स्टोरी
कानपुर के चौबेपुर थाना इलाके के विकरु गांव में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो विकास दूबे को किसी हैवान से कम नहीं मानते हैं, विकास की गुंडई और दबंगई का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि इसी गांव से 18 परिवारों को मजबूरन पलायन करना पड़ा।
New Delhi, Jul 05 : यूपी के कानपुर में तीन जुलाई की रात 8 पुलिस वालों की हत्या के बाद फरार मुख्य आरोपी विकास दूबे का अपराध की दुनिया में अलग ही पहचान है, गैंगस्टर विकास दूबे की कहानी भी किसी फिल्म से कम नहीं है, आपको जानकर हैरानी होगी, कि जिस कुख्यात अपराधी की तलाश में पूरे यूपी की पुलिस खाक छान रही है, उसे विकरु गांव के कुछ लोग खुदा की तरह मानते हैं, ये लोग कानून से ज्यादा विकास पर भरोसा करते थे, बीते दिनों एक युवती ने विकास दूबे का महिमामंडन करने वाला एक पोस्ट सोशल मीडिया पर साझा किया है, हालांकि इसके पीछे विकास की दबंगई और दहशत ज्यादा बतायी जा रही है।
18 परिवारों को पलायन करना पड़ा
इसके उलट कानपुर के चौबेपुर थाना इलाके के विकरु गांव में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो विकास दूबे को किसी हैवान से कम नहीं मानते हैं, विकास की गुंडई और दबंगई का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि इसी गांव से 18 परिवारों को मजबूरन पलायन करना पड़ा, गांव के बुजुर्ग 80 वर्षीय शिवराम ने बताया कि विकास दूबे की मौत के बाद ही गांव के लोग चैन की सांस ले पाएंगे, उन्होने कहा कि 10 साल पहले विकास की दहशत और दबंगई के चलते 18 परिवारों को गांव छोड़ना पड़ा था, पलायन के बाद उन लोगों के मकान पर भी विकास ने कब्जा कर लिया था।
कुछ लोगों की मदद
शिवराम ने बताया कि विकास दूबे गरीबों की बेटी की शादी में कुछ मदद कर उनकी नजर में खुदा बनने की कोशिश करता था, लेकिन इस तरह से वो गरीबों के घर में एंट्री कर लेता था, फिर अपना हैवान वाला चेहरा दिखाता था, वो दबंगई और हथियार के दम पर लोगों से उनकी जमीन अपने नाम करवा लेता था, विकास का खौफ इस कदर था कि अगर कोई उसके पैसे नहीं चुका पाता था, तो अपने गुर्गों से लेकर पुलिस तक से उनका उत्पीड़न कराता था।
दरिंदगी की कहानियां
गांव ने बुर्जुग ने बताया कि एक किसान की जमीन पर विकास कब्जा करने गया था, जब किसान ने इस बात का विरोध किया, तो पहले तो खेत पर ही किसान की बेरहमी से पिटाई की, फिर बाद में उसकी बेटी को घर से उठा लिया था, आरोप के अनुसार पीड़ित कई बार पुलिस और चौकी के चक्कर काटता रहा, लेकिन किसी ने भी उसकी फरियाद नहीं सुनी, आखिरकार अपनी इज्जत और जान बचाने के लिये परिवार गांव छोड़कर चला गया।
अपराध की दुनिया में एंट्री
विकास को जानने वाले बताते हैं कि कुख्यात गैंगस्टर बनने से पहले वो सामान्य युवक का जीवन जी रहा था, बहन के पति की मौत हो गई, जिसके बाद वो बहन के घर पर रहने लगा, कुछ सालों के बाद वापस विकरु गांव पहुंचा, जहां पिता राजकुमार और मां के साथ रहने लगा, साल 1994 में दलित समाज के कुछ लोगों ने उसके पिता के साथ बदसलूकी की और उनकी पिटाई की, जिसके बाद गुस्से में विकास घर में रखे असलहे को लेकर वहां पहुंच गया, यहीं से अपराध की दुनिया में उसकी एंट्री हुई।
खुद सुनाता था फैसला
गांव विकरु की आबादी 4 से 5 हजार के करीब होगी, इस गांव में रहने वाली 80 वर्षीय श्यामा देवी ने बताया कि 1995 के बाद इस गांव में बने विकास के आलीशन घर के बाहर मैदान पर एक अदालत लगती थी, जिसमें जज खुद विकास होता था, अदालत की सुनवाई सुबह 6 बजे शुरु होती थी, जहां कुर्सी पर कुख्यात विकास बैठता था और बगल में दो बंदूकधारी और लट्ठ लेकर एक दर्जन लोग खड़े रहते थे।