कानपुर: क्या हुआ था उस रात विकास दुबे के गांव में? सस्पेंड SO विनय तिवारी ने बताई पूरी कहानी
कानपुर मुठभेड़ मामले की जांच तेज है, 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी विकास दुबे अब भी पुलिस की गिरफ्तर से बाहर है। इस बीच सस्पेंड चौकी इंचार्ज विनय तिवारी से पूछताछ हुई है ।
New Delhi, Jul 08: कानपुर में पुलिस और हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के गुर्गों के बीच हुई मुठभेड़ में 8 पुलिसकर्मी मारे गए हैं । मोस्ट वॉन्टेड विकास दुबे अब भी पुलिस गिरफ्त से बाहर है । इस बीच चौबेपुर थाने के पूर्व एसओ विनय तिवारी से एसटीएफ की टीम ने लंबी – चौड़ी पूछताछ की है । टीम, विनय तिवारी को मंगलवार को बिकरू गांव लेकर पहुंची । पूरे मामले में विनय का बयान दर्ज किया गया ।
क्राइम सीन को लेकर पूछताछ
एसटीएफ की टीम ने विनय तिवारी से पूछ कि मुठभेड़ के दौरान पुलिस वहां कैसे फंसी और गोलियां कहां से चल रही थी…? क्राइम सीन क्या था, कैसे वो खुद बच गए, उन्हें खंरोच तक नहीं आई यह भी पूछा गया । इसके बाद एसटीएफ टीम उन्हें लेकर लौट गई । अधिकारियों का मानना है कि मामले में चौबेपुर थाने के हर पुलिसवाले की भूमिका संदिग्ध है, जब तक चौबेपुर थाने के हर पुलिसकर्मी की जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक इस केस में उनसे कोई काम नहीं लिया जाएगा।
पूछताछ में हुआ खुलासा
सस्पेंड किए गए चौबेपुर थाने के एसओ विनय तिवारी को लेकर एसटीएफ की टीम जब गांव पहुंची, तो मास्क लगा होने के कारण पहले तो लोग उन्हें पहचान नहीं सके । लेकिन बाद में लोग समझ गए कि पूर्व एसओ को लेकर एसटीएफ जांच करने पहुंची है । पूछताछ के दौरान सबसे बड़ा खुलासा ये हुआ कि विनय खुद ही नहीं थाने की पूरी टीम को लेकर सबसे पीछे थे । जब टीम विकास के घर की तरफ बढ़ी, तो वह पीछे ही रुक गए और फायरिंग शुरू होते ही पूरी टीम के साथ भाग निकले थे। इसी वजह से उन्हें खरोच तक नहीं आई थी और वह मुठभेड़ के दौरान की पूरी जानकारी भी नहीं दे सके। लेकिन उनकी वजह से अन्य टीम के सीओ और एसओ फंस गए । जिसके कारण 8 पुलिस कर्मियों की जान चली गई और 7 गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गए।
कई थानों को सौंपी गई जांच
बिकरू गांव में हुई घटना के बाद अधिकरियों को अब चौबेपुर थाने पर विश्वास नहीं रहा है । थाने में तैनात पुलिस वालों के अलावा दूसरे थानों से दरोगाओं को मामले की छानबीन के लिए लगाया गया है । इस मामले में नवाबगंज इंस्पेक्टर को घटना की विवेचना की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके अलावा कोतवाली के दरोगा को असलहों के सत्यापन कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अन्य मामलों की चांज के लिए भी दूसरे थाने के पुलिसकर्मियों को नियुक्त किया गया है । चौबेपुर पुलिस को इस पूरे मामले से दूर रखा गया है।