गोल्‍ड स्‍मगलर स्‍वप्‍ना सुरेश पर फंसी केरल सरकार, सीएम CBI जांच के लिए तैयार, कब क्‍या हुआ? पढ़ें

केरल सरकार स्‍वप्‍ना सुरेश को लेकर बुरी तरह से फंस गई है, चारों ओर से घिरता देख सरकार अब सीबीआई जांच के लिए भी तैयार है ।

New Delhi, Jul 09: केरल में आज अचानक एक राजनीति तूफान खड़ा हो गया है, दरअसल त्रिवेंद्रम इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर एक राजनयिक लगेज से 30 किलोग्राम सोना जब्त किया गया है । घटना के बाद से सियासत तेज होग ई है । तस्करी रैकेट की मुख्य संदिग्ध का नाम स्वपना सुरेश है जोकि राज्य में सत्ताधारी वाम लोकतांत्रिक मोर्चा की सरकार की बेहद करीबी बताई जा रही है। मामले में आरोप लगने के बाद मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सीबीआई जांच के लिए तैयार होने की बात कही है । सीएम ने अपने प्रमुख सचिव एम शिवशंकर को भी उनके पद से हटा दिया है।

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फरार है स्‍वप्‍ना सुरेश
स्‍वप्‍ना सुरेश जो कि केरल के आयकर विभाग के साथ काम करनती थी, और एक हाई-प्रोफाइल कंसल्टैंट के रूप में सरकार के करीब रही, मामला सामने आने के बाद से कथित तौर पर फरार है । सोना तस्‍करी का ये मामला उसे यूएई से संचालित शीर्ष तस्करों से जोड़ता है ।करोड़ों के गोल्‍ड स्‍मगलिंग के केस में सीमा शुल्क आयुक्त सुमित कुमार ने जांचकर्ता इस रैकेट से लाभ पाए हुए लोगों के नामों का खुलासा करने के लिए कई एंगल से जांच में जुटे हुए हैं ।

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बीजेपी हमलावर
मामले में स्वपना सुरेश का नाम आने के बाद, भारतीय जनता पार्टी के केरल अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि आईटी सचिव और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के कार्यालय ने स्वपना का नाम हटाने के लिए दबाव बनाया था । बीजेपी का यह भी आरोप है कि केरल के आईटी सचिव स्वपना को संरक्षण दे रहे हैं, जो अपने शीर्ष स्तर पर संपर्कों के लिए जानी जाती है। दरअसल उनहोने बताया कि आईटी सचिव मुख्यमंत्री के भी सचिव हैं और वह स्वपना के आवास पर अकसर आते-जाते रहे हैं । हालांकि मुख्यमंत्री विजयन के कार्यालय ने स्वपना से किसी तरह के संबंध से इनकार किया है ।

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कब क्‍या हुआ ? स्‍वप्‍ना सुरेश कौन है?
दरअसल अबू धाबी में जन्मी और पली-बढ़ी स्‍वप्‍ना सुरेश पहले वहीं एयरपोर्ट पर पैसेंजर सर्विसेज में काम करती थी। फिर उसने एक ट्रेवल एजेंसी में काम किया । जिसके बाद एयर इंडिया सैट्स में भी सेवाएं दीं । UAE वाणिज्य दूतावास में कांसुलेट जनरल की सेक्रेटरी रहते हुए उसने अपनी रसूख बनानी शुरू कर दी । धीरे-धीरे वो हवाईअड्डों और सीमा शुल्क विभाग के कई अधिकारियों के संपर्क में आ गई थी। जिसके बाद उसे राजनयिक खेपों की आपूर्ति के साथ उनकी हैंडलिंग की भी जानकारी हो गई थी । गोल्‍ड स्‍मगलिंग के लिए उसने इसी सिस्टम का इस्तेमाल किया । एक वरिष्ठ कस्टम अधिकारी ने इस मामले में कहा है कि –  ‘यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि कब से राजनयिक बैगेजेज का इस्तेमाल भारत में स्वर्ण तस्करी के लिए किया जा रहा था। हमें मुख्य संदिग्ध से पूछताछ तक इंतजार करना होगा।’