पिता की हत्या से आहत होकर उठाया बड़ा कदम, IPS बनने के लिए छोड़ दी 22 लाख की नौकरी
यूपी के गाजियाबाद जिले के एसपी देहात नीरज कुमार जादौन, एंटी रोमियो स्क्वॉड के प्रभारी भी रहे हैं । जादौन के अफसर बनने की कहानी बहुत ही खास है ।
New Delhi, Jul 09: IPS नीरज जादौन के पिता की 6 दिसंबर 2008 को जमीनी विवाद के कारण गोली मारकर हत्या कर दी गई । नीरज उस वक्त सिर्फ 26 साल के थे । पिता की हत्या से वो बुरी तरह टूट गए । 5 भाई-बहनों में सबसे बड़े नीरज, उस समय एक टेलीकॉम कंपनी में बहुत अच्छे पद पर कार्यरत थे । लेकिन पिता को न्याय दिलाने के दौरान वो पुलिस के रवैये से इतने आहत हुए कि उन्होने अपनी 22 लाख के पैकेज की नौकरी छोड़ दी ।
किसान परिवार से हैं नीरज जादौन
IPS नीरज जादौन के जालौन जनपद के नौरेजपुर गांव के निवासी नीरज एक साधारण किसान के बेटे हैं । नीरज साल 2015 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, उनकी कहानी हर किसी के लिए प्ररेणा से कम नहीं । नीरज कुमार जादौन ने यूपी के गाजियाबाद जिले के एसपी देहात के रूप में एंटी रोमियो स्क्वॉड के प्रभारी के रूप में भी अपनी सेवा दी है। इसके साथ ही नीरज बुजुर्गों के लिए ऑपरेशन आशीर्वाद भी चलाया । दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाके में कुछ महीनों पहले हुई हिंसा में नीरज उभर कर सामने आए। उन्होंने अपनी जान की परवाह किये बिना कई परिवारों की जान बचाई ।
छोड़ दी थी 22 लाख की नौकरी
कानपुर से स्कूलिंग के बाद नीरज ने साल 2005 में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से बीटेक किया था । इंजीनियरिंग के बाद करीब एक साल तक नोएडा की एक निजी कंपनी में काम किया । नीरज के माता –पिता केवल बारहवीं और आठवीं पास थे । उनके पिताजी की मौत के समय वो बेंगलुरु में एक टेलीकॉम कंपनी में 22 लाख रुपए के पैकेज पर काम कर रहे थे । साल 2013 तक वो यहीं काम करते रहे । लेकिन पिता की मौत के बाद 2011 से वो सिविल सर्विसेज की तैयारियों में भी जुटे रहे । इसी साल वो इंटरव्यू तक पहुंचे, लेकिन अगले साल उन्हें इंडियन पोस्ट एंड टेलीकम्युनिकेशन अकाउंट्स एंड फाइनेंस सर्विसेज में पोस्ट मिल गई, लेकिन उन्हें तो सिर्फ IPS बनना था ।
2014 में पास की परीक्षा
साल 2014 में नीरज ने UPSC की परीक्षा में 140वां स्थान हासिल किया। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया कि मुश्किल के दिनों में उनके दादाजी ही परिवार का सबसे बड़ा सहारा थे, लेकिन सिविल सर्विसेज के इंटरव्यू से 25 दिन पहले ही वो चल बसे। लेकिन नीरज जादौन ने हर परिस्थिति का मजबूती से सामना किया और वो एक सफल अफसर बन सके ।