कभी कहलाते थे अगले गावस्कर, गांगुली-द्रविड़ ने खत्म कर दिया करियर

संजय मांजरेकर को कभी लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर का उत्तराधिकारी कहा जाता था, लेकिन वो अपने करियर में उस बुलंदी को हासिल नहीं कर पाये, जिसकी उनसे उम्मीद की गई थी।

New Delhi, Jul 12 : आज टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर और कमेंटेटर संजय मांजरेकर का जन्मदिन है, क्रिकेट उन्हें विरासत में मिली है, पिता उस दौर में बल्लेबाज थे, जब भारत में क्रिकेट ने अपने पैर जमाने शुरु किये थे, सीनियर मांजरेकर का जब निधन हुआ, तो  संजय सिर्फ 18 साल के थे, उस वक्त उनका रणजी डेब्यू भी नहीं हुआ था, हालांकि पिता को भरोसा था कि उनका बेटा एक दिन टीम इंडिया के लिये खेलेगा।

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गावस्कर के उत्तराधिकारी
संजय मांजरेकर को कभी लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर का उत्तराधिकारी कहा जाता था, लेकिन वो अपने करियर में उस बुलंदी को हासिल नहीं कर पाये, जिसकी उनसे उम्मीद की गई थी, मांजरेकर ने अपनी आत्मकथा में इस बात का खुलासा किया है, कि राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली की वजह से उनका करियर उम्मीद से जल्दी खत्म हो गया। रिटायरमेंट के बाद बतौर कमेंटेटर उन्होने अपनी अलग पहचान बनाई, 2018 में अपनी आत्मकथा इंपरफेक्ट में मांजरेकर ने लिखा है, जब उन्होने अपने खेल को अलविदा कहा, तो टीम इंडिया के महत्वपूर्ण बल्लेबाज थे, वो उस समय आउट ऑफ फॉर्म तो नहीं थे, लेकिन गांगुली और द्रविड़ के खेल को देखकर समझ चुके थे, कि अब उनका समय पूरा हो चुका है।

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मेरा समय पूरा हो गया
मांजरेकर ने लिखा साल 1996 इंग्लैंड टूर पर राहुल द्रविड़ से तो लोगों को उम्मीद थी, लेकिन सौरव गांगुली सबके लिये सरप्राइज रहे, द्रविड़ को देखकर लगता था कि वो टीम इंडिया के लिये ही बने हैं, लेकिन जब मैंने उन्हें बल्लेबाजी करते देखा, तो मुझे अंदाजा हो गया था कि अब मेरा समय पूरा हो गया है। मांजरेकर की पहचान तकनीकी रुप से एक सक्षम बल्लेबाज की थी, खासतौर से विदेशी पिचों पर उनका रिकॉर्ड अच्छा था, उनकी तकनीक के लिये साथी खिलाड़ी उन्हें मिस्टर परफेक्ट कहा करते थे, लेकिन सचिन तेंदुलकर ने उन्हें मिस्टर डिफरेंट का नाम दिया था।

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सचिन की आलोचना
संजय मांजरेकर ने अपनी किताब में लिखा था कि जब कभी भी मेरे जेहन में सचिन तेंदुलकर की रिटायरमेंट का ख्याल आता था, तो मैं सोचता था कि तेंदुलकर आगे चलकर कोचिंग, बिजनेस या सोशल एक्टिविटी के जरिये किसी ना किसी तरह क्रिकेट से जुड़े रहेंगे, लेकिन विश्वकप विजेता खिलाड़ी ने क्रिकेट के बजाय राज्यसभा सदस्य बनना ज्यादा बेहतर विकल्प समझा।