सचिन पायलट- यह राजनीति नहीं हैं, इसके पीछे व्यापार है

मेरी जानकारी में है कि सचिन पायलेट तीन महीने से भा ज पा के साथ सौदेबाजी कर रहे थे — जो इंसान छः साल से राज्य का पार्टी अध्यक्ष हो ओर बीस विधायक उसके साथ नहीं।

New Delhi, Jul 14 : कांग्रेस का कोढ़ गुटबाजी है — जब छत्तीसगढ़ अजित जोगी कांग्रेस से निकले ओर वहाँ गुटबाजी का अंत हुआ — पार्टी स्पष्ट बहुमत से आई — हर राज्य में जो अतिमहत्वाकांक्षी गुटबाज हैं — अलग हो जायेंगे तो कांग्रेस में वही रहेंगे जो अनुशासन में बांध कर रह सकें .

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कांग्रेस से ममता, जगन मोहन रेड्डी, शरद पवार, अजित जोगी सहित कई गत दो दशक में अलग हुए —-आज कांग्रेस में वही रहे जो नेहरु की विचारधारा के मुताबिक़, पंथ निरपेक्ष, समाजवादी , वैश्विक शांति की बात करे — तभी वह एक सशक्त विपक्ष की भूमिका निभा सकेगी .
आज ही मध्य प्रदेश के जयभान सिंह पवैया ने एक ट्विट किया कि “हे कांग्रेसी राजमाता . अपने कुनबे को संभालिए न, आखिर आपकी रूठी हुई राजनीतिक संतानों को हम अपने हिस्से का कितना प्यार लुटते रहेंगे ?”

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यह मजाक नहीं है — यह वैचारिक प्रतिबधता शब्द का नैतिक बलात्कार है .
मेरी जानकारी में है कि सचिन पायलेट तीन महीने से भा ज पा के साथ सौदेबाजी कर रहे थे — जो इंसान छः साल से राज्य का पार्टी अध्यक्ष हो ओर बीस विधायक उसके साथ नहीं — जबकि युवक कांग्रेस, एन एस यू आई , सेवा दल सभी संगठन के अध्यक्ष उन्हीं के थे . अस्सी से ज्यादा टिकट मांगे थे बीस नहीं जितवा पाए- लोकसभा चुनाव में सुपदा साफ़ हो गया — लेकिन सचिन को कुर्सी के प्रति जिम्मेदारी का भाव नहीं आया — बूढ़े ओर युवा की बहस चलाने वाले असल में चुप संघी हैं — अनुशासन ना मानना , पार्टी को न मानना , मंत्री मंडल को न मानना —- अब जिस पार्टी में जायेंगे — वहाँ पहले सौ में उनका नाम न होगा जबकि कांग्रेस में उनका नाम राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के लिए चल रहा था —

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एक बात जान लें — यह राजनीति नहीं हैं, इसके पीछे व्यापार है ओर सीमा के पार के कुछ समझौते —– खैर जिस युवा में संभावना देख रहा था — वह कालिदास बन गया — Panka अपने पार्टी के विधायकदल मे जो बहुमत में होगा , वही चीफ मिनिस्टर होता है ओर आज तो गहलोत के साथ ही नम्बर है।

(वरिष्ठ पत्रकार सचिन पायलट के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)