मनरेगा मजदूर मां के बेटे ने ली ‘उड़ान’, झोपड़ी से एयरफोर्स तक रहा मुश्किल सफर, पिता चल बसे  

सुख सुविधाओं की जिंदगी में भी अगर हिम्‍मत कम पड़ रही हो, हौसले टूट रहे हों तो राजस्‍थान के इस बेटे की सफलता की कहानी आपमें नया जोश जरूर भरेगी ।  

New Delhi, Jul 20: ये कहानी है निम्‍बाराम कड़वासरा की, जी हां बड़ा अटपटा सा नाम है, लेकिन इस अजीबोगरीब नाम वाले बच्‍चे ने अपने पूरे गांव का नाम रौशन कर दिया है । राजस्थान के जोधपुर जिला मुख्यालय से करीब 96 किलोमीटर दूर एक गांव है हरलाया । इस गांव की एक झोपड़ी से वायुसेना का एक जवान निकला है । निंबाराम कड़वासरा की ये उड़ान गांव वालों के सीने को गर्व से भर रही है । मनरेगा में काम करने वाली एक मां की मेहनत का नतीजा है निम्बाराम ।

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5 बहनों में इकलौते भाई
निम्‍बाराम का बचपन बेइंतहा गरीबी में बीता, 5 बहनों के इकलौते भाई ​निम्बाराम जब 9वीं में था तो पिता चल बसे । पढ़ाई छोड़ने तक की नौबत आ गई, लेकिन मां ने हिम्मत जुटाई । अपने बेटे का हौसला बढ़ाया । 2001 में जन्‍मा 19 वर्षीय निम्बाराम तमाम मुयिकलों के बावजूद 2019 बैच से एयरफोर्स में चुना गया है । वो कर्नाटका में ट्रेनिंग ले रहा हैं । बहन ने तिलक लगाकर और राखी बांधकर भाई को रवाना किया है ।

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सीकर में रहकर की तैयारी
पढ़ाई में होशियर निम्बाराम ने दसवीं बोर्ड में 86 प्रतिशत और 12वीं बोर्ड में 90 प्रतिशत अंक हासिल किए। इसके बाद उसने आईआईटी करने के लिए सीकर के एक कोचिंग में दाखिला लिया । वो इसी दौरान डिफेंस सर्विसेज की भी तैयारी करने लगा । इंडियन एयरफोर्स का फार्म भरा और 2019 में एयरफोर्स में चयन भी हो गया । आठवीं तक की पढ़ाई गांव के स्कूल से कीख्‍ फिर नौवीं कक्षा के लिए जोधपुर आया । इसी साल पिता चल बसे । ओसियां के टैगोर शिक्षण संस्थान से ही 12वीं तक की पढ़ाई की। स्‍कूल ने उसकी गरीबी को देखते हुए फीस भी माफ कर दी ।

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मां की खुशी का ठिकाना नहीं
निम्बाराम ने एक इंटरव्‍यू में बताया कि पिता की मौत के बाद उसके कंधों पर परिवार की जिम्मेदारी आ गई थी, लेकिन मां कोजीदेवी ने उसे पढ़ाई छोड़ने से मना कर दिया । वो खुद मनरेगा में काम करने लगीं, खेतों में मजदूरी करके उसे पढ़ाया । बेटे का एयरफोर्स में चयन होने पर मां की खुशी का तो ठिकाना नहीं रहा। हालांकि इकलौते बेटे के घर से काफी दूर जाने पर मां थोड़ी मायूस भी हो गईं हैं ।