Opinion: ‘जहां राम – कृष्ण – शिव – परशुराम आराध्य हो वह हिन्दू राष्ट्र होना ही चाहिए’

बाकी धर्म और इसके देवता का तो भारत से दूर दूर का सम्बंध नही है। कहाँ जेरुसलम , कहाँ मक्का मदीना और कहाँ हिन्दुस्तान।

5 अगस्त 2020 को अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का शिलान्यास होगा । इसे लेकर खबरिया चैनलों में इतना उत्साह दिखाया जा रहा है मानो यह मंदिर अयोध्या में नही बल्कि मक्का मदीना में बनाया जा रहा है। खबर और इसका विश्लेषण तो यह होना चाहिए था कि राम मंदिर बनाने के लिए सौ करोड़ लोगों को एक बेहूदा तरीके से कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा ।

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क्या राम , कृष्ण , बुद्ध , महावीर 1950 में विदेशी मान्यताओं पर बने संविधान और कानून का मोहताज है । फिर तो यहां मस्जिद , चर्च में रखे जाने वाले अल्लाह और मसीह को भी केवल और केवल कानूनी आधार पर मान्यता मिलनी चाहिए जो हरगिज नही मिल सकता । बाकी धर्म और इसके देवता का तो भारत से दूर दूर का सम्बंध नही है। कहाँ जेरुसलम , कहाँ मक्का मदीना और कहाँ हिन्दुस्तान। मैं इस देश को हिन्दूराष्ट्र के रूप में देखना चाहता हूँ । नेता , पत्रकार , और दूसरे पेशेवर लोग यह कहते हुए झिझकते हैं लेकिन मैं बहुत सोचकर , खम ठोककर और गर्व के साथ यह बात लिख रहा हूँ ।

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जिस देश की आत्मा हिंदुत्व में बसती है उसे हिन्दूराष्ट्र होना ही चाहिए । जहां राम – कृष्ण – शिव – परशुराम आराध्य हो वह हिन्दू राष्ट्र होना ही चाहिए । जहां के धरोहर वेदों की ऋचाएं हैं , जहां की परम्परा यज्ञ और पूजा हो , जहां की संस्कृति संस्कृत हो , जहां के जलश्रोत गंगा , गोदावरी , नर्मदा हो , जहां के देवस्थान मथुरा – अयोध्या – वैष्णो देवी – रामेश्वरम – कामाख्या हो उसे हिन्दूराष्ट्र होना ही चाहिए । जहां का इतिहास अशोक , चन्द्रगुप्त , समुद्रगुप्त , महाराणा प्रताप हो उसे हिन्दूराष्ट्र तो होना ही चाहिए । जहां रामायण , गीता , शिवपुराण जैसे हजारो ग्रंथ उपनिषदों की रचना हुई उसे हिन्दूराष्ट्र बनना ही चाहिए । जहां शंकराचार्य , द्रोणाचार्य , शुक्राचार्य ,पतंजलि , पाणिनि हुए उसे हिन्दूराष्ट्र होना ही चाहिए। इस देश मे इस्लाम औऱ ईसाई धर्म का कोई इतिहास या प्रतीक नही है फिर सेक्युलरवाद के नाम पर देश मे इसे लादना गलत है।

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चीन में एक आदेश जारी किया गया है कि वहाँ किसी भी देवता की तस्वीर लगी हो तो उसे हटाकर जिनपिंग की तस्वीर लटकाना होगा। इसे आप तानाशाही और सेक्युलरिज्म कह सकते हैं लेकिन भारत मे सेकुलरिज्म तो निहायत ही असम्भव है। जहां सत्ता भी धर्म पर आधारित रहा हो , सामाजिक ताना बाना भी धर्म पर टिका हुआ हो , जहां के कण कण में हिंदुत्व बसा हुआ है उसे सेक्युलर बनाना अनैतिक और गलत है । मैं फिर से वाशिंगटन पोस्ट के कोट कोदोहरा रहा हूँ कि भारत दरअसल 2014 में आजाद हुआ है । लेकिन आप भारतीय जनता पार्टी से बहुत उम्मीद नही कीजिये । राजनैतिक पार्टियों की सीमाएं होती है । फिर भी एक मंच , एक माहौल , एक आत्मविश्वास आपको मिला है जहां हम हिन्दूराष्ट्र की पहचान को स्थापित कर सकते हैं । आप मजबूती से अपनी मांग रखेंगे तभी राजनैतिक दल मजबूर होंगे कि आपकी बात माने ।
आप मानकर चलिए कि अयोध्या में बन रहा राममंदिर सिर्फ एक सामान्य प्रक्रिया है । अंतिम लक्ष्य तो हिन्दूराष्ट्र की स्थापना है। जय श्री राम।
(वरिष्ठ पत्रकार योगेश किसलय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)