नहीं रहे डोम राजा, आज भी चिता की लकड़ी से घर में बनता है भोजन

जी हां, हम बात कर रहे हैं काशी के डोम राजा की, काशी के डोम राजा जगदीश चौधरी का निधन हो गया है।

New Delhi, Aug 26 : राजा, किसी लोकतांत्रिक देश में राजा का क्या मतलब होता है, शायद ये बताने की जरुरत नहीं है, लेकिन हम यहां बनारस के लोगों द्वारा संबोधन में इस्तेमाल किये जाने वाले का राजा की बात कर रहे हैं, वहां के एक राजा के बिना आज भी इंसान का अंतिम क्रिया कर्म नहीं होता है, देश में और भी रियासतें हैं, और राजा भी हैं, लेकिन अब वो बस प्रतीकों में रह गये हैं, लेकिन काशी के एक राजा का मंहत्व आज तक बरकरार था।

Advertisement

डोम राजा
जी हां, हम बात कर रहे हैं काशी के डोम राजा की, काशी के डोम राजा जगदीश चौधरी का निधन हो गया है, उनका परिवार ही काशी में हिंदूओं का अंतिम संस्कार कराने का काम करता है, मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर इनके परिवार के लोग ही अग्नि देने का काम करते हैं, मतलब इंसान का जो अंतिम कर्म है, वो इनके जरिये ही होता है, पीढियों से इनके परिवार का वहीं काम रहा है, अगर इनका परिवार अग्नि नहीं होता है, तो अंतिम संस्कार नहीं होता है।

Advertisement

डोम की मान्यता
माना जाता है कि डोम में हिन्दू मान्यताओं के पवित्र शब्द ओम की ध्वनि होती है, वैसे डोम जाति से जुड़ी दो पौराणिक कथा भी है, एक शिव-पार्वती से जुड़ा है, तो दूसरा राजा हरिश्चंद्र से, ऐसे में मणिकार्णिका के राजा के तौर पर डोम राजा को मान्यता मिलती है। हालांकि आधुनिक इतिहास में डोम का हिंदू वर्ण व्यवस्था में सबसे निचले पायदान पर रखा गया है, उन्हें शुद्र वर्ण जाति में रखा गया है, इनका काम मृतकों के अंतिम संस्कार का है, ये परंपरा अभी भी चली आ रही है, कहा जाता है कि उनके घर में आज भी चिता की लड़कियों से ही खाना बनता है।

Advertisement

मोदी के प्रस्तावक
वाराणसी में डोम राजा का एक विशेष महत्व हैं, ऐसे में पीएम मोदी जब वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ने पहुंचे, तो उन्होने डोम राजा को भी अपना प्रस्तावक बनाया था, जगदीश चौधरी पीएम मोदी के प्रस्तावक थे, उनके निधन पर मोदी ने ट्वीट कर अपनी संवेदनाएं भी व्यक्त की, सीएम योगी से लेकर कई नेताओं ने इस पर दुख जाहिर किया है।