गरीबी से जूझ रहे मज़दूर को मिला 9 लाख के हीरे से भरा बैग, किया ऐसा काम की अब हो रही तारीफ

आर्थिक तंगी से मजबूर एक शख्‍स ने ईमानदारी की ऐसी मिसाल पेश की है कि अब उसकी जमकर तारीफ हो रही है । पढ़ें पूरी खबर ।

New Delhi, Oct 07: लॉकडाउन में ना जाने कितने ही लोग बेरोजगार हो गए, कईयों को कम पैसों पर काम करना पड़ा । आर्थिक तंगी ने ना जाने कितने परिवारों की कमर तोड़ दी । लेकिन इतने पर भी कई ऐसे हैं जो टूटे नहीं, हालात के आगे झुके नहीं । अपनी ईमानदारी से कोई समझौता नहीं किया । ऐसे ही एक शख्‍स की चर्चा हो रही है, नाम है राजेश राठौड़ ।

Advertisement

हीरे से भरा पैकेट मिला …
दरअसल राजेश राठौर नाम के इस कारीगर को 9 लाख रुपये के हीरे से भरा एक पैकेट सड़क किनारे पड़ा मिल गया । लॉकडाउन में आर्थिक तंगी से जूझ रहे राजेश के लिए ये हीरे किसी लॉटरी से कम नहीं थे । वो चाहता तो इन्‍हें बेचकर अपनी समस्‍याओं का हल पा सकता था, लेकिन उसकी ईमानदारी लालच के इस विचार पर भारी पड़ गई । राजेश ने चार दिनों के अन्दर वो पैकेट उसके मालिक को पहुंचा दिया ।

Advertisement

सड़क पर पड़ा मिला पैकेट
राजेश राठौर एक हीरा कामगर है, यानी हीरा कटाई का काम करते हैं । हर महीने लगभग 8,000 रुपये 10,000 रुपए की कमाई है । लेकिन लॉकडाउन के चलते मज़दूरी लगभग 6,000 रुपये कम हो गई । 25 सितंबर को राठौड़ जब अपने घर से पैदल मिनी बाजार जा रहे थे, वहीं चलते हुए उन्हें हीरे का बैग दिखा । पैकट देखते ही मन में लालच कौंध गया, 30 कैरेट के इस चमचमाते हीरे को बेच कर अपनी सारी मुश्किलें दूर करने का ख्‍याल मन में आने लगा ।

Advertisement

मालिक को लौटा दिया
TOI से बात करते हुए राजेश ने बताया कि-  मैं केवल पैकेट पर लिखे हीरे के टुकड़ों का वजन और संख्या देख सकता था । मैंने तुरंत अपने सहयोगी से संपर्क किया । उसने मुझे कहा कि इसे संभाल कर रखो । पहले दिन तो मैंने इसे रखने का फ़ैसला किया, लेकिन रात भर इस बारे में सोचते रहने के बाद अगले ही दिन हीरे के मालिक को इसे लौटाने का प्रण कर लिया । 28 सितंबर को राठौड़ को एक व्यक्ति का फ़ोन आया जिसने ख़ुद को पैकेट का मालिक बताया । इन हीरों के मालिक पार्सल विरदिया के मुताबिक हीरे उनकी जेब से नीचे गिर गए थे । उन्‍होंने राजेश की तारीफ करते हुए कहा कि- “मैं राठौड़ की ईमानदारी से बेहद प्रभावित हूं । अगर राठौड़ ने पैकेट नहीं लौटाया होता, तो मुझे मालिक को नौ लाख रुपये देने होते।”