सीएम बनते-बनते रह गये थे रामविलास पासवान, एक नारे ने बिगाड़ दिया था खेल

बिहार के राजनीतिक समीक्षकों के मुताबिक नीतीश और पासवान में अच्छी केमेस्ट्री थी, दोनों चुनावी गणित सही करने की कोशिश में थे।

New Delhi, Oct 09 : लोक जनशक्ति पार्टी के सर्वेसर्वा रामविलास पासवान का गुरुवार को दिल्ली में निधन हो गया, वो दिल की बीमारी से जूझ रहे थे, बीते सप्ताह ही उनकी दिल की सर्जरी हुई थी, बिहार के खगड़िया जिले में जन्मे रामविलास पासवान की राजनीतिक पैठ दिल्ली तक रही, यूं ही नहीं उन्हें चुनाव का मौसम वैज्ञानिक कहा जाता था।

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2005 में सीएम बनने से चूक गये
साल 2005 (मार्च में) विधानसभा चुनाव के बाद रामविलास सीएम बनने से चूक गये थे, दरअसल तब ऐसा हुआ था कि उनके पुराने दोस्त और जदयू नेता नीतीश कुमार खुद प्रस्ताव लेकर उनके आवास पर पहुंचे थे, हालांकि तब दोनों के बीच बात नहीं बन पाई, तब पासवान ने मुस्मिम सीएम और दलित पीएम का राग अलापा था, हालांकि इसके बाद फिर उसी साल अक्टूबर में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें जदयू-बीजेपी को पूर्ण बहुमत आ गई और नीतीश सीएम बन गये।

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नीतीश प्रस्ताव लेकर गये थे
मार्च 2005 विधानसभा चुनाव में लोजपा को 30 सीटें मिली थी, उनके बिना किसी की सरकार बनती नहीं दिख रही थी, जिसके बाद नीतीश अपने दोस्त पासवान के पास गये थे, तब नीतीश ने लालू प्रसाद यादव के खिलाफ पासवान को मोर्चा खोलने के लिये कहा था, नीतीश का इरादा अति पिछड़ा वर्ग और दलित वोटरों को एकजुट कना था, paswan जो बिहार की राजनीति में खास मायने रखता है, सूबे की 45 फीसदी आबादी इन्हीं वर्गों से ताल्लुक रखती है, यहां तक कि नीतीश ने तब साथ देने की शर्त पर पासवान को सीएम पद ऑफर किया था। हालांकि दोनों के बीच बात नहीं बन पाई, तब पासवान यूपीए-1 में केन्द्रीय मंत्री थे, साथ ही वो किसी ऐसे गठबंधन में शामिल नहीं होना चाहते थे, जिसमें बीजेपी भी हो, ये दोनों नेता तब से अब तक किसी भी विधानसभा चुनाव में साथ नहीं लड़े।

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अच्छी केमेस्ट्री 
बिहार के राजनीतिक समीक्षकों के मुताबिक नीतीश और पासवान में अच्छी केमेस्ट्री थी, दोनों चुनावी गणित सही करने की कोशिश में थे, 2005 में दोनों अलग-अलग लड़े, पासवान की पार्टी ने 2009 के आम चुनाव के साथ अगले साल विधानसभा चुनाव लालू के साथ लड़ा, जबकि नीतीश बीजेपी के साथ थे, दोनों ही चुनाव में नीतीश-बीजेपी के गठबंधन ने बाजी मारी, फिर 2013 में नीतीश बीजेपी से अलग हो गये, और पासवान 2014 में बीजेपी के साथ आ गये, इसके बाद उन्होने जीत का स्वाद चखा, 2015 विधानसभा चुनाव में रामविलास बीजेपी के साथ थे, तो नीतीश लालू और कांग्रेस के साथ, यहां बाजी नीतीश ने मारा, पासवान और बीजेपी चुनावी मैदान में चित हो गये। फिर 2017 में नीतीश बीजेपी की ओर लौटे, 2019 लोकसभा चुनाव में तीनों साथ मिलकर लड़े, जिसमें 40 में से 39 सीटें इन तीनों के नाम रहा।