New Delhi, Oct 09 : केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान का निधन बिहार चुनाव के नतीजों पर असर डाल सकता है, उनके बेटे चिराग पासवान ने इस चुनाव में नीतीश कुमार को उखाड़ फेंकने का दम भरा है, ऐसे में सीनियर पासवान के निधन से लोजपा सहानुभूति वोट बटोर सकती है, पासवान के जाने से दुसाध वोट चिराग के साथ खड़े हो सकते हैं, बड़े पासवान दशकों से दुसाधों के सबसे बड़े नेता रहे हैं, चुनाव में दुसाधों की सक्रिय भागीदारी की वजह से पासवान की राजनीतिक ताकत कभी कमजोर नहीं हुई, चिराग उसी ताकत को सुशासन बाबू के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहते हैं।
दुसाध वोट एकजुट करने की तैयारी
रामविलास अस्वस्थ्य होने की वजह से पहले ही इस चुनाव में सक्रिय भागीदारी नहीं कर रहे थे, ऐसे में सवाल उठ रहे थे कि क्या चिराग दुसाधों को उसी तरह साध पाएंगे, जैसे उनके पिता करते थे, पासवान के निधन से इस बात की संभावना बढ गई है कि
चुनाव में राजद-जदयू से मुकाबला
चिराग ने इस विधानसभा चुनाव में जदयू के खिलाफ मोर्चा तो खोला है, लेकिन बीजेपी के खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे हैं, ना ही उन्होने बीजेपी के खिलाफ प्रत्याशी उतारा है,
खुद को साबित करने की चुनौती
रामविलास के जाने से चिराग पर खुद को साबित करने का दबाव बढ गया है, कई विरोधाभासों के बावजूद रामविलास राजनीतिक लक्ष्य हासिल करते रहे, हाल ही में चिराग ने वोटर्स और पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील में कहा था कि मैं पापा का अंश हूं इसलिये उन्हें पता है कि
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