नहीं रहे नरेन्द्र मोदी को राजनीति का ककहरा सिखाने वाले शख्स, पीएम ने खास अंदाज में दी श्रद्धांजलि!

गुजरात भूकंप के बाद साल 2001 में नरेन्द्र मोदी ने सीएम पद की शपथ ली थी, केशुभाई के साथ उनके सबंध बेहद करीबी रहे थे।

New Delhi, Oct 29 : गुजरात के 2 बार सीएम रहे केशुभाई पटेल का आज सुबह निधन हो गया, सितंबर में वह कोरोना की चपेट में आ गये थे, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी है, उन्होने लिखा है, केशुभाई के निधन से मैं बहुत दुखी हूं, वह अद्भुत नेता थे और उन्होने अपने समाज के सभी वर्गों का ध्यान रखा, उन्होने गुजरात के विकास के लिये काम किया और गुजरातियों को सशक्त किया, हालांकि हैरान करने वाली बात ये है कि केशुभाई के अधूरे कार्यकाल में ही नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी क्यों संभाल ली।

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मोदी बने थे सीएम
गुजरात भूकंप के बाद साल 2001 में नरेन्द्र मोदी ने सीएम पद की शपथ ली थी, केशुभाई के साथ उनके सबंध बेहद करीबी रहे थे, केशुभाई जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे, वह दो बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने, पहली जब सीएम बने, तो 7 महीने के कार्यकाल के बाद ही शंकर सिंह बाघेला से विवाद की की वजह से इस्तीफा देना पड़ा, दोबारा फिर 1998 में सीएम बने, तो 2001 में उन्होने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया, हालांकि माना जाता है कि 2001 में भुज में आये भयानक भूकंप के दौरान कुप्रबंधन को लेकर उन्होने अपना इस्तीफा दिया था।

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जब अटल मोदी से बोले बहुत मोटे हो गये हो
बताया जाता है कि गुजरात भूकंप के बाद प्रदेश में तत्कालीन सीएम केशुभाई के खिलाफ असंतोष था, वहीं दो उपचुनावों और स्थानीय चुनाव में भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा, ऐसे में पार्टी नेतृत्व ने बदलाव की भूमिका तय की, उस समय वाजपेयी जी प्रधानमंत्री थे, नरेन्द्र मोदी गुजरात संगठन का काम करने के लिये दिल्ली में थे, अटल जी ने मोदी से कहा दिल्ली में पंजाबी खाना खाकर काफी मोटे हो गये हो, गुजरात लौट जाओ, शायद मोदी को भी ये पता नहीं था कि उन्हें कौन सी जिम्मेदारी दी जा रही है, कई लोग ये भी दावा करते हैं कि सीएम बनने के लिये शंकर सिंह बाघेला के विद्रोह के बाद मोदी ने लॉबिंग की थी।

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रिश्ते खराब हो गये
सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद केशुभाई पटेल के पार्टी से रिश्ते खराब होते गये, 2002 में वह चुनाव नहीं लड़े, फिर 2007 में इनडायरेक्ट तरीके से कांग्रेस के समर्थन में थे, 2012 में बीजेपी से इस्तीफा देकर अपनी अलग पार्टी बना ली, हालांकि एक बार फिर 2014 में बीजेपी में वापसी हुई, हालांकि वो खुद नहीं बल्कि बेटे के राजनीति अवसर के लिये उन्होने वापसी की थी।