Inside Story: कौन हैं कामेश्वर चौपाल? जिन्हें सुशील कुमार मोदी की कुर्सी देने की हो रही है चर्चा
बिहार में उप मुख्यमंत्री के पद को लेकर चर्चा तेज हैं, एक नाम जो तेजी से सामने आया है वो कामेश्वर चौपाल का । कौन हैं ये, आगे पढ़ें पूरी खबर ।
New Delhi, Nov13: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे जितने रोचक रहे अब मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री के पद पर कौन बैठेगा ये जानना भी दिलचस्प है । मुख्यमंत्री पद के लिए जहां नीतीश कुमार लगभग तय माने जा रहे हैं वहीं पेंच उप मुख्यमंत्री पद पर फंसता लग रहा है । खबर आ रही हैं कि बीजेपी सुशील कुमार मोदी की कुर्सी छीनकर उस पर किसी और चेहरे को बैठाने की तैयारी में हैं और इसके लिए एक नाम जो सबसे ज्यादा चर्चा में है वो कामेश्वर चौपाल का । जानें कौन हैं ये, और क्या है अंदर की खबर ।
दलित नेता हैं कामेश्वर चौपाल
कामेश्वर चौपाल, बिहार में दलित भाजपा नेता हैं । उनका नाम राम मंदिर आंदोलन से भी जुड़ा हुआ है । माना जा रहा है कि उनका नाम सामने लाने के पीछे बीजेपी का कोर हिंदुत्व वोट बैंक मजबूत करने के साथ दलित लोगों के बीच बीजेपी की पैठ बढ़ाना हो सकता है । राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी राम विलास पासवान की मौत के बाद से एक बड़े दलित नेता की खाली हुई जगह को भरने की कोशिश में है। मौऐसे में कामेश्वर चौपाल को आगे बढ़ाकर दलितों के बीच सकारात्मक संदेश दिया जा सकता है । कामेश्वर चौपाल, 1991 में रामविलास पासवान के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं, तब उन्हें हार मिली थी । 24 अप्रैल 1956 में जन्मे कामेश्वर चौपाल ने जेएन कॉलेज मधुबनी से स्नातक की परीक्षा पास करने के बाद मिथिला विवि दरभंगा से 1985 में एमए की डिग्री ली।
क्या बोले कामेश्वर चौपाल?
वहीं कयासों के दौर के बीच दिल्ली से पटना पहुंचे कामेश्वर चौपाल से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुझे संगठन अगर कोई दायित्व देता है तो मैं उससे भागूंगा नहीं। संगठन का काम है अगर झाड़ू लगाना तो वह भी मैं करूंगा। जो काम मिलता है उसे करुंगा। हमारे लिए राष्ट्र प्रथम है और व्यक्ति अंतिम बात है। संगठन से जो आदेश मिलेगा उसे लूंगा।
राम मंदिर से संबंध
कामेश्वर चौपाल का राम मंदिर शिलान्यास से क्या संबंध हैं आपको वो भी बताते हैं, फरवरी 2020 में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट में कामेश्वर चौपाल को भी शामिल किया गया था। रोटी के साथ राम का नारा देने वाले कामेश्वर चौपाल ही हैं, जिन्होंने 9 नवंबर 1989 को राम मंदिर निर्माण के लिए हुए शिलान्यास कार्यक्रम में पहली ईंट रखी थी। विहिप में बिहार के सह संगठन मंत्री होने के कारण चौपाल भी आयोध्या में मौजूद थे। चौपल खुद भी इस बात से अनजान थे कि पहली ईंट से उनसे रखवाई जाएगी, उन्होंने बाद में बताया था कि उन्हें यह पता था कि धर्मगुरुओं ने किसी दलित से ईंट रखवाने का निर्णय लिया है, लेकिन वे खुद होंगे, यह उनके लिए संयोग रहा।
कई चुनाव में की दावेदारी
कामेश्वर चौपाल की लोकप्रियता को देखते हुए बीजेपी ने साल 1991 में रोसड़ा सुरक्षित लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया थ, हालांकि वे चुनाव हार गए थे। इसके बाद उन्हें 1995 में बेगूसराय की बखरी विधानसभा सीट से उतारा गया, यहां भी वो हार गए । साल 2002 में वे बिहार विधान परिषद के सदस्य बने । 2014 तक वे विधान परिषद के सदस्य रहे । 2014 में सुपौल लोकसभा से लड़े थे चुनाव, लेकिन पप्पू यादव की पत्नी रंजीता यादव के सामने चौपाल नहीं टिक सके और पराजित हुए । अगर कामेश्वर चौपाल को बीजेपी डिप्युटी सीएम बनाती है तो सुशील कुमार मोदी का पत्ता कट सकता है।
#BJP may push for #KameshwarChaupal to be the next deputy CM of #Bihar. Kameshwar Chaupal, a known Dalit leader, had laid the first brick of the #RamTemple during the 1989 #RamMandir movement. Watch him in conversation with Mirror Now's Shyam! pic.twitter.com/7HvEtiybwS
— Mirror Now (@MirrorNow) November 13, 2020