रामदेव का खुला ऐलान, अगले 10-20 साल मोदी का विकल्प नहीं, राहुल करें त्रियोग, दिग्विजय मौन योग!
रामदेव से अगला सवाल पूछा गया कि लोकतंत्र में सबसे बड़ा भरोसा इस समय किस पर है, तो उन्होने कहा कि इस समय भारतीय राजनीति में मोदी का कोई विकल्प आने वाले 10-20 सालों में मुझे तो नहीं दिखता।
New Delhi, Nov 15 : योगगुरु और पंतजलि के सर्वेसर्वा स्वामी रामदेव ने कहा कि वह प्रधानमंत्री मोदी के नहीं बल्कि राष्ट्र के भक्त हैं, चूंकि पीएम देशभक्त है, इसलिये वो उनके सहयोगी हैं, मोदी का अगले 10-20 सालों तक कोई विकल्प नहीं है, बाबा रामदेव ने इसके अलावा कांगेस नेता राहुल गांधी को सुझाव दिया, कि उन्हें त्रियोग करना चाहिये, साथ ही उनकी पार्टी के नेता दिग्विजय सिंह को समाधि मौन योग करना चाहिये।
क्या देश में मोदी फैक्टर है
दरअसल न्यूज 18 के पत्रकार अमिश देवगन ने रामदेव से पूछा क्या देश में मोदी फैक्टर है, तो उन्होने कहा नरेन्द्र मोदी के प्रति देश के करोड़ों लोगों में इतना ऊंचा विश्वास है, कि उनके दूसरे नंबर जो राजनीतिक व्यक्ति है, वो हजारो किमी दूर है, फासला आसमान- जमीन का है, सारा देश जानता है कि मोदी को कुछ नहीं चाहिये, उन्हें प्रभु की कृपा से सबकुछ मिला है। वो देश नहीं बेच सकता है, मुल्क से गद्दारी नहीं कर सकता, देश तोड़ नहीं सकता, और छोड़ भी नहीं सकता, ऐसा व्यक्ति जिसका अपने लिये कुछ नहीं है, सब कुछ सिर्फ और सिर्फ मातृभूमि के लिये है।
सबसे बड़ा भरोसा
रामदेव से अगला सवाल पूछा गया कि लोकतंत्र में सबसे बड़ा भरोसा इस समय किस पर है, तो उन्होने कहा कि इस समय भारतीय राजनीति में मोदी का कोई विकल्प आने वाले 10-20 सालों में मुझे तो नहीं दिखता, बाकी भगवान के विधान से कोई पैदा हो जाए, तो दोबारा चर्चा कर लेंगे, आप मोदी भक्त हैं, इस पर आरोप पर उन्होने कहा कि मैं मोदी भक्त नहीं राष्ट्रभक्त हूं, मैं प्रभु, गांव, गरीब, मजदूर, किसान, दलित, शोषित वंचित पिछड़ों का भक्त हूं, मैं सेवा करने वाला साधक योगी और कर्मयोगी हूं, क्योंकि मोदी राष्ट्रभक्त हैं इसलिये उनका सहयोगी हूं, सबको कहता हूं कि योगी बनो, उद्योगी बनो, अच्छे कामों में सहयोगी बनो, यही वेद का संदेश है, यही कर्म की बात है।
ओबामा पर क्या कहा
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा राहुल गांधी को लेकर टिप्पणी पर उन्होने कहा कि ये बात बहुत व्यक्तिगत हो जाती है, पर इतना कहूंगा कि देश चलाने के लिये सिर्फ एक खानदान का होना जरुरी नहीं है, देश की समझ, भारत की समझ, समग्र सोच होनी चाहिये, हर क्षेत्र तथा विषय के बारे में, बहुत गहरी सोच की जरुरत है, कुछ लोग मजाक में कहते हैं, कि अरे जिसे कुछ नहीं आता, वो राजनीति कर ले, पर राष्ट्र चलाना बहुत बड़ी बात है, देश चलाने में हजारों रतन टाटा, अडानी, अंबानी और तमाम वैज्ञानिक सरीखों महामेधा की जरुरत है, ऐसी मेधा किसी खानदान से नहीं मिलती है, ये दुकानों पर नहीं बिकती है, इसका होलसेल क्या रिटेल काउंटर नहीं होता।