सुशील मोदी के इस बयान ने बिगाड़ दिया उनका खेल, इसकी वजह से चली गई डिप्टी CM की कुर्सी

तत्कालीन डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने स्‍पष्‍ट रूप से कहा था कि नीतीश कुमार आगामी लोकसभा चुनाव में एक अहम भूमिका निभा सकते हैं । सुशील मोदी ने तब ये तक कह दिया था कि…

New Delhi, Nov 16: बिहार में नए डिप्टी सीएम के नाम का ऐलान हो चुका है, इसी के साथ ये भी साफ है कि सुशील कमार मोदी, सत्‍ता से अलग कर दिए गए हैं । लेकिन सवाल बार-बार उठ रहे हैं कि आखिर बीजेपी की ओर से ऐसा फैसला क्‍यों लिया गया । राजनीति के जानकार इसके पीछे कई वजह गिना रहे हैं, लेकिन कुछ को लगता है कि सुशील मोदी का नीतीश का करीबी होना ही उनकी डिप्‍टी सीएम की कुर्सी छिनने का बड़ा कारण रहा ।

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सुशील मोदी का बयान चर्चा में
भाजपा का ये फैसला सुशील मोदी के एक खास बयान से भी जोड़ा जा रहा है, जो उन्होंने साल 2012 में नीतीश कुमार को लेकर दिया था । दरअसल, 2010 के बाद से ही नीतीश कैबिनेट में शामिल रहे तत्कालीन पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह और अश्विनी चौबे, 2014 लोकसभा चुनाव के लिए जमीन तैयार कर रहे थे और गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाने के पक्ष में माहौल बना रहे थे । उसी समय, तीन सितंबर 2012 को एक अखबार में सुशी मोदी का बयान आया, जिसे पढ़कर बीजेपी वाले हैरारन रह गए ।

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नीतीश को बताया पीएम पद का उम्‍मीदवार
इस इंटरव्यू में तत्कालीन डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने स्‍पष्‍ट रूप से कहा था कि नीतीश कुमार आगामी लोकसभा चुनाव में एक अहम भूमिका निभा सकते हैं । सुशील मोदी ने तब ये तक कह दिया था कि नीतीश में एक बेहतर प्रधानमंत्री बनने की सभी खूबियां हैं । एक तरह से, सुशील मोदी ने नीतीश कुमार को नरेंद्र मोदी से बेहतर प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बताया था । राजनीतिक जानकारों के अनुसार, तब भाजपा के कई नेताओं ने इसे पार्टी के खिलाफ की गई बयानबाजी बताया था ।

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BJP नेताओं को नहीं पसंद आया था बयान
सुशील मोदी के इस बयान के बाद बीजेपी को उनकी ये बातें खटकती रहीं । राजनीति गलियारों में ये बात आम थी कि सुशील मोदी ने बिहार में बीजेपी को नीतीश कुमार का पिछलग्गू बना दिया । चर्चा यह भी रहती थी कि जेडीयू नेताओं से ज्यादा नीतीश कुमार को सुशील मोदी डिफेंड करते हैं । 2012 के बयान ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्‍व को भी नाराज कर दिया था । जानकारों के मुताबिक नीतीश कुमार अब भी चाहते थे कि सुशील मोदी उनके साथ ही रहें, लेकिन एनडीए में जेडीयू का कद घटने के कारण अब वो पहले जैसे ताकतवर नहीं रहे, इसी वजह से बीजेपी नेताओं की बात उन्‍हें माननी पड़ी ।