इतने करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं किसान नेता राकेश टिकैत, कई बार खाई है जेल की हवा

किसान नेता राकेश टिकैत का नाम इन दिनों चर्चा में है, आगे पढ़े इनके बारे में सब कुछ । आंदोलन के नाम पर कई बार जेल गए टिकैत करोड़ों की संपत्ति रखते हैं ।

New Delhi, Jan 30: पिछले कुछ दिनों से जिस व्‍यक्ति का नाम खबरों में सबसे ज्‍यादा लिया जा रहा है, सोशल मीडिया पर जिसकी सबसे ज्‍यादा चर्चा हो रही है वो नाम है भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का । टिकैत, मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन पर अड़े है । देश के तमाम किसानों के साथ वह दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले दो महीने से विरोध कर रहे हैं । गणतंत्र दिवस पर हिंसा के बाद से टिकैत का नाम सुर्खियों में चल रहा है, जिसके बाद उनका भावुक होना खूब चर्चा में रहा । आगे जानें राकेश टिकैत के बारे में सब कुछ ।

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कौन हैं राकेश टिकैत?
राकेश टिकैत दिवंगत किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे हैं, महेंद्र सिंह टिकैत भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष थे । साल 1987 में उन्‍होंने भाकियू की नींव तब रखी थी, जब किसानों ने बिजली के दाम को लेकर शामली जिले के करमुखेड़ी में एक बड़ा आंदोलन किया था । इस आंदोलन में दो किसान जयपाल तथा अकबर की पुलिस की गोली लगने से मौत हो गई थी, जिसके बाद ही यूनियन का गठन हुआ । यूनियन के पहले अध्यक्ष चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत बने थे । इसके बाद से महेंद्र किसानों के मसीहा बन गए और जीवनभर उनके हक की लड़ाई लड़ते रहे ।

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भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्‍ता हैं राकेश टिकैत
महेंद्र सिंह टिकैत की शादी बलजोरी देवी से हुई थी, उनके चार बेटे और दो बेटियां हुईं । उनके सबसे बड़े बेटे नरेश टिकैत हैं जो मौजूदा समय में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं । वहीं राकेश टिकैत उनके दूसरे बेटे हैं जो वर्तमान में किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं । तीसरे नंबर के बेटे सुरेंद्र टिकैत मेरठ के एक शुगर मिल में मैनेजर के तौर पर कार्यरत हैं, महेंद्र टिकैत के सबसे छोटे बेटे नरेंद्र टिकैत खेती का काम करते हैं । राकेश टिकैत ने लोकसभा का चुनाव भी लड़ा है ।

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पुलिस की नौकरी छोड़ी
राकेश टिकैत साल 1985 में दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के पद पर भर्ती हुए थे, बाद में वो प्रमोशन लेकर सब इंस्पेक्टर भी बनाए गए । लेकिन 90 के दशक में जब महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में दिल्ली के लाल किले पर किसानों का आंदोलन चल रहा था, तो सरकार की ओर से राकेश टिकैत पर पिता से आंदोलन खत्म कराने का दबाव बनवाया गया । उस समय राकेश टिकैत ने पुलिस की नौकरी छोड़ दी और वो किसानों के साथ हमेशा के लिए खड़े हो गए । राकेश इसके बाद से किसान राजनीति का हिस्सा बन गए, और देखते ही देखते उन्‍हें महेंद्र सिंह टिकैत के वारिस के तौर पर देखा जाने लगा ।

चुनाव में मिली हार, संपत्ति
15 मई 2011 को कैंसर के चलते राकेश टिकैत के पिता महेंद्र सिंह टिकैत का निधन हो गया । बालियान खाप के अनुसार उनकी मृत्यु के बाद उनके बड़े बेटे नरेश टिकैत को भारतीय किसान यूनियन का अध्यक्ष बनाया गया । राकेश टिकैत ने मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई की है, इसके बाद एलएलबी कर वकालत भी की । राकेश टिकैत ने दो बार चुनाव लड़ा, साल 2007 में उन्होंने मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्‍हें हार मिली । इसके बाद 2014 में राकेश टिकैत ने अमरोहा सीट से राष्ट्रीय लोक दल से लोकसभा का चुनाव लड़ा था, इस चुनाव में भी वह जीत नहीं सके। साल 2014 के लोक सभा चुनाव में राकेश टिकैत ने जो शपथपत्र दाखिल किया था, उसके अनुसार उनकी संपत्ति की कीमत 4,25,18,038 रुपये थी । किसान आंदोलन में हिस्‍सा लेने के कारण वो अब तब 44 बार जेल जा चुके हैं ।