17 साल बाद फौजी लौटा अपने गांव, लोगों ने स्वागत में बिछा दीं अपनी हथेलियां

भारतीय सेना के जवान देश का गौरव हैं और जब वो अपनी सेवा पूरी कर लौटते हैं तो उनका कुछ ऐसा ही स्‍वागत होना चाहिए जैसा मध्‍यप्रदेश के नीमच में हुआ ।

New Delhi, Feb 06: अपने प्राणों की परवाह किए बिना देश की रक्षा का संकल्‍प लेने वाले फौजी हमारी शान हैं । बॉर्डर पर दिन – रात की परवाह किए बिना वो हरदम तैनात रहते हैं ताकि आम जन चैन की नींइ सो सकें । देश की सेना के वीर जवानों के हर किसी का सिर गर्व से ऊंचा होता है और सम्‍मान में झुकता है । एक सैनिक के लिए कुछ ऐसा ही दिल खुश कर देने वाला नजारा मध्य प्रदेश के नीमच में देखने को मिला, जहां एक फौजी जब रिटायरमेंट लेकर घर लौटा तो गांव के लोगों ने उसके स्वागत में अपनी हथेलियां बिछा दीं।

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अपनी हथेलियों पर पैर रखवा कर किया स्वागत
ये बेहद खूबसूरत पल महसूस किए भारतीय सेना के जवान विजय बहादुर सिंह ने, जो 17 साल सेना में सेवा करने के बाद अपने गांव जीरन तीन फरवरी को लौटे थे। गांव के लोगों को जैसे ही पता चला कि उनके विजय रिटायर होकर आने वाले हैं तो ग्रामीणों ने उनके स्वागत की तैयारियां शुरू कर दीं, जगह-जगह फूल लगाए गए । गांव का हर शख्‍स अपने घर से बाहर आ गया ताकि रिटायर्ड फौजी का स्‍वागत कर सके ।

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भावुक कर देने वाला नजारा
सबसे पहले गांव के लोगों ने जमीन में अपनी हथेलियां रखकर फौजी के पांव को उन पर रखवा कर उन्‍हें प्रवेश करवाया, फिर यभी यहां से सैनिक को अपने गांव के प्राचीन मंदिर लेकर पहुंचे । जहां उन्‍हें गणेश भगवान के दर्शन कराए। खुद के लिए ग्रामीणों के ऐसे भाव देख फौजी विजय बहादुर भावुक हो गए। कहने लगे कि अपना गांव स्वर्ग से भी अच्छा होता है। सचमुच मुझे आज लगा कि सेना और सैनिकों का सम्मान लोग कितना करते हैं। मैंने अपनी 17 साल की नौकरी में कई जगह सेवाएं दी हैं। लेकिन जो सम्मान और प्यार यहां गांव के लोगों ने दिया उसे में कभी नहीं भूल पाऊंगा। अब मेरा एक ही लक्षय है कि आसपास के गांव के लोगों को सेना में जाने की ट्रेनिंग देना। उनको फौज में जाने के लिए तैयार  करूंगा।

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पिता की आंखें भी छलक उठी
फौजी विजय के पिता लालसिंह भी इस मौके पर भावुक हो गए, जब उन्‍होंने अपने बेटे का ऐसा भव्य स्वागात और सम्मान देखा तो वह खुद को भावुक होने से रोक नहीं पाए, उन्‍होंने कहा- आज मेरा सीना चौड़ा हो गया है, मैं चाहता हूं गांव का हर बेटा सेना में जाए और हर पिता को ऐसा ही गर्व हो। बता दें कि सैनिक विजय बहादुर ने अपनी 17 साल की नौकरी के दौरान कारगिल, सियाचिन ग्लेशियर, बटालिक, जम्मू कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, जयपुर व शिमला में अपने सेवा देते हुए दुश्मनों का सामना किया है।