न बारिश हुई न बर्फ पिघली, फिर ग्लेशियर कैसे फट गया? Experts की टीमें जानेंगी वजह
उत्तराखंड के चमोली में हुआ हादसा हैरान करने वाला है, बिना बारिश बिना किसी तूफान आए कैसे ग्लेशियर फट गया ये अध्ययन का विषय है । घटना से प्रभावित इलाकों में अभी बचाव का काम जारी है ।
New Delhi, Feb 08: बीते रविवार को उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा अचानक से टूट गया, इस प्राकृतिक घटना ने बहुत तेजी से आपदा का रूप ले लिया और इसके बाद आए सैलाब ने इलाके में भारी तबाही मचाई । हैरान करने वाली बात यही है कि इलाके में ना तो बारिश आई और ना ही कोई तूफान, फिर ये हादसा कैसे हो गया । आपदा के बाद जहां राहत-बचाव का काम जारी है, वहीं घटना कैसे हुई इसकी जांच के लिए अब विशेषज्ञों की दो टीमें बनाई गई हैं ।
जोशीमठ-तपोवन जाएंगी दो टीमें
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के डायरेक्टर कलाचंद सैन ने मामले में बात की और जानकारी दी, उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा अचानक से टूटने के बाद आई व्यापक बाढ़ के कारणों का अध्ययन करने के लिए ग्लेशियर के बारे में जानकारी रखने वाले वैज्ञानिकों की दो टीमें जोशमठ-मपोवन जाएंगे । सैन ने बताया कि ग्लेशियोलॉजिस्ट की दो टीम हैं– एक में दो सदस्य हैं और एक अन्य में तीन सदस्य हैं।
2013 की बाढ़ का किया था अध्ययन
देहरादून का वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, क्षेत्र में हिमनदों और भूकंपीय गतिविधियों सहित हिमालय के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करता है । संस्थान ने उत्तराखंड में 2013 की बाढ़ पर भी अध्ययन किया था, जिसमें लगभग 5,000 लोग मारे गए थे। सैन ने बताया – ‘टीम त्रासदी के कारणों का अध्ययन करेगी. हमारी टीम ग्लेशियोलॉजी के विभिन्न पहलुओं को देख रही होगी।’ ाविवार को उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूट जाने के कारण ऋषिगंगा घाटी में अचानक बाढ़ आ गई । इस आपदा के कारण क्षेत्र में चल रहे दो पनबिजली परियोजनाओं में काम कर रहे कम से कम 7 लोगों की मौत हो गई, 125 से ज्यादा मजदूर लापता हैं । सैन ने भी कहा कि रविवार की घटना काफी अजीब थी, क्योंकि बारिश नहीं हुई थी और न ही बर्फ पिघली थी ।
ये लग रहा है कारण
2013 में केदारनाथ जल प्रलय के दौरान मुख्यमंत्री के सलाहकार रह चुके और उत्तराखंड में ईको टास्क फोर्स के पूर्व कमांडेंट ऑफिसर कर्नल हरिराज सिंह राणा के मुताबिक घटना में जान-माल का काफी नुकसान हो गया है । 150 से ज्यादा लोग लापता हैं, जिसकी वजह से मृतकों की संख्या बढ़ने की पूरी आशंका है । हालांकि ग्लेशियर का टूटना उत्तराखंड में कोई नई घटना नहीं है, लेकिन घटना का तबाही में बदल जाना दुखदायी और खतरनाक है । राणा के मुताबिक बिना बारिश और तूफान के हुई इस घटना की दो बड़ी वजहें हो सकती हैं, पहला नदी के फ्लड एरियामें अतिक्रमण और निर्माण कार्य या फिर 2013 की तबाही से कोई सबक न लेना।
#WATCH | Water level in Dhauliganga river rises suddenly following avalanche near a power project at Raini village in Tapovan area of Chamoli district. #Uttarakhand pic.twitter.com/syiokujhns
— ANI (@ANI) February 7, 2021