बंगाल में बीजेपी के खिलाफ टीएमसी को जिताने के लिये क्या कर रहे हैं प्रशांत किशोर? ये है प्लान!

इसमें सबसे ज्यादा खास है दूर चले गये वोटरों को वापस पाने की कोशिश, क्योंकि बीजेपी लगातार जनजाति बहुल इलाकों में अपनी पैठ बना रही है।

New Delhi, Feb 10 : पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने में करीब दो महीने का समय बचा है, इस चुनाव को लेकर इस बार बीजेपी और टीएमसी के बीच कड़ा मुकाबला है, वही चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर इस बार बंगाल में बीजेपी से टक्कर लेने के लिये सीएम ममता बनर्जी की पार्टी के लिये अहम भूमिका निभा रहे हैं, उम्मीदवार चयन की अटकलों के बीच प्रशांत किशोर की आईपैक का कहना है कि वो सत्ताधारी दल के बल को बढाने के बीच काम कर रही है, किशोर की टीम टीएमसी के कवच में आई दरार की पहचान करने, इसकी रणनीतिक कमियों को दूर करने तथा पार्टी के दूर जा रहे वोटरों को वापस अपने पाले में लाने की रणनीति पर काम हो रही है।

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बीजेपी के हौसले बुलंद
इसमें सबसे ज्यादा खास है दूर चले गये वोटरों को वापस पाने की कोशिश, क्योंकि बीजेपी लगातार जनजाति बहुल इलाकों में अपनी पैठ बना रही है, 2019 में प्रदेश के पश्चिमी और उत्तरी हिस्सों में स्थित अनुसूचित जाति/जनजाति और आदिवासी वोट बीजेपी के खाते में गये थे, इससे बीजेपी को 18 संसदीय सीट जीतने में मदद मिली थी। पीके की यही कोशिश है कि टीएमसी का संदेश इन लोगों तक बड़े स्तर पर पहुंचे, काफी हद तक ये कुछ कार्यक्रमों के जरिये हो रहा है, जिसमें मध्य स्तर तथा जिला स्तर के नेता सीधे सीएम ममता बनर्जी से बात कर रहे हैं।

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आपको क्या दिया
टीएमसी को अनुसूचित जाति/जनजाति के नेताओं तक पहुंचने के लिये आयोजित किये गये ऐसे ही एक कार्यक्रम में सीएम और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा था mamta Banerjee कि मैं इन समुदाय के अपने भाई से अपील करती हूं, कि बीजेपी आपकी कई सीटें जीत चुकी है, उन्होने जंगल महल और उत्तरी बंगाल में जीत हासिल की, उनके कई नेता सांसद बने, लेकिन उन्होने आपको क्या दिया।

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खास संदेश
अपने कार्यक्रम में वही संदेश दिया गया, जो टीएमसी देना चाहती थी, ममता दीदी की अहम योजना द्वारे सरकार के तहत अब तक अनुसूचित जाति/ जनजाति के लोगों को 10 लाख जाति प्रमाणपत्र जारी कर चुकी है, टीएमसी के नेताओं का कहना है कि mamta PK यहां आईपीएसी की भूमिका अहम हो जाती है। आईपीएसी टीएमसी के अनुसूचित जाति/जनजाति के नेताओं के साथ काम करके इन वोटरों को अपने खाते में लाना चाहती है, जिन पर बीजेपी की भी नजरें है।