कोच गैरी कर्स्टन से ऐसा था गौतम गंभीर का रिश्ता, खुद को ड्रॉप करने के लिये कहा था!
गौती ने कहा कि मेरा और कोच गैरी का संबंध इतना अच्छा था कि एक प्लेयर कोच के पास जाकर खुद कहता है कि मुझे ड्रॉप करो, क्योंकि फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलना है।
New Delhi, Feb 12 : टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने दो विश्वकप दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई थी, 2007 टी-20 विश्वकप के फाइनल में पाकिस्तान और 2011 आईसीसी विश्वकप के फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ उन्होने मैच जिताऊ पारी खेली थी, गौती ने एक इंटरव्यू में खुद के बारे में खुलासा किया था कि वो एक बार खुद को टीम से बाहर करना चाहते थे, इस बारे में उन्होने तत्कालीन कोच गैरी कर्स्टन से बात भी की थी, लेकिन वो नहीं माने थे।
क्या था मामला
गौतम गंभीर ने व्हाट द डक कार्यक्रम में विक्रम साठये को दिये इंटरव्यू में इसकी चर्चा की थी, गौती ने कहा था कि न्यूजीलैंड के खिलाफ अहमदाबाद में टेस्ट मैच खेला जा रहा था, पहली पारी में मैंने 21 रन बनाये थे, इसके बाद दूसरी पारी में क्रिस मार्टिन की पहली ही गेंद पर आउट हो गया था, मैं पवेलियन लौटा, वहां गैरी से कहा कि मेरा आत्मविश्वास काफी कम है, मैं चाहता हूं, कि फर्स्ट क्लास क्रिकेट जाकर खेलूं, मुझे लगता है कि थोड़े रन बनाऊं और फिर वापस आउं।
मुझे ड्रॉप करो
गौती ने कहा कि मेरा और कोच गैरी का संबंध इतना अच्छा था कि एक प्लेयर कोच के पास जाकर खुद कहता है कि मुझे ड्रॉप करो, क्योंकि फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलना है, अपने देश में अगर कोई कोच के पास ऐसा जाकर कहेगा, तो एक सेकेंड भी नहीं लगेगा और इसे टीम से बाहर कर दिया जाएगा, गैरी ने मुझसे कहा कि मेरे लिये एक टेस्ट मैच और खेलो, फिर मैंने अगला टेस्ट मैच खेला, मैंने 50 से ज्यादा रन बनाये, अगले टेस्ट में 70 से ज्यादा रन बनाये।
कप्तान बनाया गया
गौतम गंभीर ने बताया कि जब 70 से ज्यादा रन बनाये, तो न्यूजीलैंड के खिलाफ 5 वनडे सीरीज में मुझे कप्तान बनाया गया, उस सीरीज में मैंने दो शतक लगाये और मैन ऑफ द सीरीज बना था, इसके बाद दक्षिण अफ्रीका गये और वहां दो टेस्ट मैच में 4 अर्धशतक लगाये, फिर विश्वकप खेला, अगर मैं वो एक टेस्ट मैच ना खेला होता, तो विश्वकप कभी नहीं खेल पाता।