पुलि‍स की वर्दी पहनेगी अब किन्‍नर अक्षरा, गाना-बजाना छोड़कर की कड़ी मेहनत, सपना किया साकार

किन्नरों को आज भी नाचने-गाने-बजाने वालों के रूप में ही देखा जाता है, लेकिन अब कुछ थर्ड जेंडर के लोग इससे अलग कर अपने समाज के लिए प्रेरणा बन रहे हैं । किन्‍नर अक्षरा के बारे में जानें …

New Delhi, Mar 03: भारतीय समाज में शादी हो या खुशी का कोई दूसरा मौका, किन्‍नर बधाई मांगने जरूर आते हैं । खुशियों के मौकों पर ये गाते हैं, बजाते हैं, आशीर्वाद देकर जाते हैं । सालों से ऐसा ही चला आ रहा है, किन्‍नर बच्‍चे होने पर लोग उन्‍हें इसी समाज के हवाले भी कर देते हैं । लेकिन अब माहौल बदल रहा है । किन्‍नर समाज भी जागरूक हो रहा है । अम्बिकापुर की रहने वाली एक ऐसी ही किन्नर अक्षरा ने छतीसगढ़ पुलिस में चयनित होकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है ।

Advertisement

हर एग्‍जाम किया पास
छत्‍तीसगढ़ के अम्बिकापुर में कुछ दिन पहले हुई पुलिस भर्ती परीक्षा में अक्षरा ने शारीरिक दक्षता परीक्षा दी थी, आखिरी नतीजे में जब उसके चयन की खबर आई तो स्‍थानीय किन्नर समाज में खुशी का माहौल हो गया । अक्षरा, अम्बिकापुर शहर के बौरीपारा स्थित महादेव गली में रहती है । जब उससे मीडिया ने सवाल किए तो उसने बताया कि वो बचपन से ही पुलिस में जाने का सपना देखा करती थी । उसने कहा कि गुरु लोगों का आशीर्वाद हमेशा उस पर रहा है, जिस वजह से उसका चयन छत्तीसगढ़ पुलिस में हो गया ।

Advertisement

रोजाना 8 घंटे की मेहनत
अक्षरा ने कहा कि, मैं गुरुदेव को बोलती थी कि मुझे पुलिस भर्ती की तैयारी करनी है तो गुरुजन मुझे छुट्टी दे देते थे जिससे मैं पुलिस भर्ती प्रक्रिया में अच्छा प्रदर्शन कर सकूं।  मैं रोजाना 8 घंटे अभ्यास करती थी ।साथियों का शौक तो साड़ी और सोलह श्रृंगार करके रहना होता है लेकिन मुझे पुलिस बनने का शौक था । मैंने अपने इस शौक को पूरा किया, खूब मेहनत की ।

Advertisement

देश की सेवा करूंगी
किन्‍नर अक्षरा ने कहा कि उनके समाज के सभी लोग सिर्फ भीख और ट्रेनों में मांग कर या बस्ती में नाच – गाकर जाकर अपना जीवन-यापन करते हैं मगर मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता । मुझे बचपन से पुलिस बनने का शौक था और पुलिस को देखकर मुझे गर्व महसूस होता था। आज बहुत खुश हूं कि सपना साकार हुआ, अब देश की सेवा करूंगी । वहीं जिला आइकॉन किन्नर समाज की अध्यक्ष तमन्ना जयसवाल ने इस मौके पर कहा कि अक्षरा मेरी बेटी जैसी है । मैं चाहती थी कि एक दिन ये वर्दी में आये और जितने भी मेरे समूह में पढ़े लिखे किन्नर हैं, सब की जॉब लगे।