भारतीय नौसेना को मिला साइलेंट किलर, जानिये क्यों इतना खास है INS करंज?

इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि रडार की पकड़ में नहीं आते हुए ये जमीन पर हमला करता है, इसमें ऑक्सीजन बनाने की क्षमता है।

New Delhi, Mar 10 : आईएनएस करंज को साइलेंट किलर भी कहा जा रहा है, क्योंकि इस पनडुब्बी में दुनिया का सबसे अच्छा सोनार सिस्टम लगाया गया है, जिससे इसकी आवाज कोई भी नहीं सुन सकता है, बड़ी आसानी से ये पनडुब्बी दुश्मन के घर में घुसकर उसे तबाह कर सकती है। स्कोर्पिन क्लास पनडुब्बी एक डीजल सबमरीन हैं, जो 40-50 दिनों तक समंदर में तैनात रह सकती है, करीब 350 मीटर गहरे समुद्र में आईएनएस करंज को तैनात किया जा सकता है।

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नाम का मतलब
नौसेना ने करंज पनडुब्बी की अंग्रेजी स्पेलिंग के नाम पर इसकी एक अलग शब्दावली तैयार की है, के- किलर इन्सटिंक्ट, ए- आत्मनिर्भर भारत, आर-रेडी, ए- एग्रेसिव, एन- निंबल, जे-जोश, आईएनएस करंज करीब 70 मीटर लंबी 12 मीटर ऊंची और 1565 टन वजनी है, आईएनएस करंज मिसाइल और टॉरपीडो से लैस है, और समुद्र में माइंस बिछाने में सक्षम है।

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रडार में नहीं आता
इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि रडार की पकड़ में नहीं आते हुए ये जमीन पर हमला करता है, इसमें ऑक्सीजन बनाने की क्षमता है, जिससे ये लंब समय तक पानी के भीतर रह सकती है। आईएनएस करंज ऐसे समय में भारतीय नौसेना को मिली है, जब हिंद महासागर में चीनी नौसेना और उसका जंगी बेड़ा भारतीय सेना को एक बड़ी चुनौती दे रहा है, साथ ही पाक नौसना के लिये भी चीन पनडुब्बियां का एक बेड़ा तैयार कर रहा है।

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फ्रांस के साथ करार
भारतीय नौसेना ने साल 2005 में प्रोजेक्ट 75 के तहत फ्रांस के साथ 6 स्कोर्पिन पनडुब्बियों को बनाने का करार किया था, हालांकि साल 2012 तक नौसेना को पहली सबमरीन मिल जानी चाहिये थी, लेकिन पहली स्कोर्पिन क्लास पनडुब्बी कलवरी 2017 में ही भारतीय नौसेना को मिल पाई थी, खंडेरी साल 2019 में नौसेना की जंगी बेड़े में शामिल हुई थी।