मुश्किल में पड़ेंगे मनोहर लाल खट्टर? अंदरखाने बदल चुका है समीकरण, दुष्यंत चौटाला पर दवाब!
बीजेपी की सहयोगी जेजेपी के कुछ विधायकों ने गठबंधन सरकार के खिलाफ बागी तेवर दिखाये हैं, जेजेपी विधायक अपने नेता तथा डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला पर गठबंधन को तोड़ने का दवाब डाल रहे हैं।
New Delhi, Mar 10 : कांग्रेस आज हरियाणा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रही है, संख्या बल के लिहाज से खट्टर सरकार चैन की सांस जरुर ले सकती है, लेकिन किसान आंदोलन के बाद से अंदरखाने समीकरण बदले हैं, इससे कोई इंकार नहीं कर सकता, जेजेपी का एक बड़ा धड़ा सरकार का हिस्सा होते हुए भी कई बार कृषि कानूनों पर नाराजगी जाहिर कर चुका है, वजह साफ है कि जेजेपी ने जिस वोट बैंक के सहारे सत्ता में हिस्सेदारी हासिल की थी, किसान आंदोलन में वही तबका अब विरोध का झंडा लिये सड़कों पर है, हालांकि डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला बार-बार सुलह की बात दोहराते हैं, बावजूद इसके किसानों का विरोध लगातार जारी है।
बागी तेवर
बीजेपी की सहयोगी जेजेपी के कुछ विधायकों ने गठबंधन सरकार के खिलाफ बागी तेवर दिखाये हैं, जेजेपी विधायक अपने नेता तथा डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला पर गठबंधन को तोड़ने का दवाब डाल रहे हैं, जेजेपी विधायक देवेन्द्र बबली का कहना है कि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सरकार के पक्ष में वोट करना मेरी मजबूरी है, लेकिन इस समय ऐसे हालात बन गये हैं कि हमें खट्टर सरकार से गठबंधन तोड़ देना चाहिये, विधायक ने कहा कि हालात ऐसे बन गये हैं कि हम कहीं जा नहीं सकते, क्योंकि लोग हमें डंडों से मारेंगे, इसके साथ ही उन्होने कहा कि अगर मेरे वोट से सरकार गिरती है, तो मैं उसके खिलाफ वोट दे दूंगा।
सरकार पर सवाल
अविश्वास प्रस्ताव की भूमिका ही किसान आंदोलन के ईद-गिर्द बनती है, इसलिये ये भी लाजिमी है, कि सदन के अंदर हर तकरीर इसी को लेकर होगी, लेकिन क्या बीजेपी-जेजेपी का हर विधायक एक सुर में बोलेगा, ये देखना सबसे दिलचस्प होगा, क्योंकि पिछले कुछ दिनों का हाल ये है कि जेजेपी के कुछ विधायक खुलकर सरकार पर सवाल उठा चुके हैं।
किसान आंदोलन के बाद बने हालात में कुछ भी मुमकिन
पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर वोटिंग का सीधा मतलब है, सदस्यता से हाथ धोना, लेकिन किसान आंदोलन के बाद बने हालात में कुछ भी मुमकिन है, विपक्ष भी ऐसे ही नाराज विधायकों के सहारे दावा ठोक रहा है, कि सरकार के पास नंबर नहीं है, सियासी अटकलों के बावजूद कागजों में मौजूद नंबर सरकार के हक में है, इसलिये बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से ज्यादा दिलचस्प वो दलीलें होगी, जो इसके हक या विरोध में रखी जाएंगी।