हिमंत बिस्व सरमा को सीएम बनाकर बीजेपी ने सिंधिया के लिये भेजा ‘संदेश’, Inside Story
करीब सवा साल पहले जब सिंधिया कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए, तो कहा गया था कि उन्हें मोदी सरकार में जगह मिलेगी, ये भी कहा गया कि उनके समर्थकों को पार्टी संगठन में एडजस्ट किया जाएगा।
New Delhi, May 11 : रविवार को बीजेपी ने असम के लिये नये मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान कर कई निशाने साध लिये, सर्बानंद सोनोवाल की जगह कांग्रेस से आये हिमंत बिस्व सरमा को ये पद देकर बीजेपी ने ना सिर्फ उनकी पुरानी इच्छा पूरी की, बल्कि कई अन्य नेताओं की महत्वाकांक्षाओं को भी हवा दे दी, खासकर उन नेताओं को जो दूसरे पार्टी से बीजेपी में आये हैं या ऐसी इच्छा रखते हैं, लेकिन कैडर आधारित पार्टी में अपने भविष्य को लेकर सशंकित हैं, इनमें राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी शामिल हैं, जो मार्च 2020 में बीजेपी में आने के बाद से पार्टी की ओर से कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिये जाने की प्रतीक्षा में हैं।
मंत्री बनाये जाने की चर्चा
करीब सवा साल पहले जब सिंधिया कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए, तो कहा गया था कि उन्हें मोदी सरकार में जगह मिलेगी, ये भी कहा गया कि उनके समर्थकों को पार्टी संगठन में एडजस्ट किया जाएगा, सिंधिया अपने साथ करीब 25 विधायकों को लेकर आये थे, जिसकी वजह से एमपी में कांग्रेस की सरकार गिर गई, बीजेपी को सरकार बनाने का मौका मिल गया, शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने तो सिंधिया समर्थकों को मंत्री पद भी मिला, लेकिन खुद महाराज अब भी प्रतीक्षा में हैं।
कैडर आधारित पार्टी
कैडर आधारित होने के चलते बीजेपी के बारे में ये आम धारणा है, कि पार्टी में नये आये लोगों को संदेह की नजरों से देखा जाता है, बीजेपी की रीति-नीति में रचे-बसे लोगों को ही महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी जाती है, सुब्रमण्यम स्वामी से लेकर सतपाल महाराज तक इसके कई उदाहरण भी हैं, लेकिन सरमा को सीएम की कुर्सी देकर बीजेपी ने एक झटके में इस धारणा को तोड़ने की कोशिश की है, पार्टी ने ये संदेश दे दिया है, कि अपनी उपयोगिता साबित करने वाले लोगों को महत्वपूर्ण पद देने से उसे गुरेज नहीं है।
उपयोगिता साबित की
2001 से लगातार विधायक चुने जा रहे हिमंत बिस्व सरमा ने कांग्रेस जब छोड़ी थी, तो वो राहुल गांधी से मिलने पहुंचे, लेकिन राहुल उनसे मिलने के बजाय अपने कुत्ते से खेलते रहे, सरमा बीजेपी में शामिल हो गये, 2016 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हराने में बड़ी भूमिका निभाई, जिसके बाद सोनोवाल सरकार में उन्हें सबसे ताकतवर मंत्री बनाया गया, लेकिन इच्छा सीएम बनने की थी, बीजेपी ने 2016 के बाद से सरमा को कई जिम्मेदारियां दी, खासकर पूर्वोत्तर के राज्यों में अपने विस्तार के लिये पार्टी ने उनका इस्तेमाल किया, सरमा पार्टी की उम्मीदों पर हर बार खरे उतरे, हाल ही में विधानसभा चुनावों में बीजेपी लगातार दूसरी बार सत्ता में आई, तो पार्टी वे सरमा को सीएम पद दे दिया।
सिंधिया के लिये संकेत
बीजेपी ने इस फैसले में सिंधिया के लिये स्पष्ट संदेश है कि बीजेपी में बड़ी जिम्मेदारी के लिये उन्हें धैर्य के साथ अपनी उपयोगिता साबित करनी होगी, सिंधिया एमपी की राजनीति में सबसे लोकप्रिय चेहरों में से एक हैं, लेकिन नवंबर में हुए विधानसभा उपचुनावों में चंबल-ग्वालियर क्षेत्र में बीजेपी को उम्मीद के मुताबिक कामयाबी नहीं मिली, सिंधिया समर्थक उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग करते रहते हैं, लेकिन सरमा का फैसला ये संकेत है कि इसके लिये उन्हें परफॉर्म करना होगा।