जेल में रहते दोस्त की बहन से प्रेम, 3 सात तक पीछा फिर मुश्किल से शादी, पप्‍पू यादव की लव स्‍टोरी

हमने 1994 में शादी की, वो दौर बेहद संघर्ष भरा था, तब एक-दूसरे से मिलना जुलना भी मुश्किल था, पटना आना-जाना तो बहुत बड़ी बात थी, मैं खुशनसीब हूं कि मुझे बहुत अच्छी पत्नी मिली है।

New Delhi, May 12: पप्‍पू यादव की पत्‍नी रंजीत रंजन ने पति की गिरफ्तारी के बाद सीधे नीतीश सरकार को चुनौती दी है, उन्‍होंने स्‍पष्‍ट शब्‍दों में चेताया है कि अगर उनके पति को कुछ होता है तो उसकी जिम्‍मेदारी सरकार की होगी । रंजीत रंजन ने पति की गिरफ्तारी को एक राजनीतिक षड्यंत्र बताया है । रंजीत रंजन और पप्‍पू यादव दोनों ही राजनीति के धुरंधर माने जाते हैं, हालांकि इस दंपत्ति का एक होना कभी मुश्किल रहा था । दोनों की लव स्‍टोरी बड़ी स्‍पेशल है । आगे पढ़ें …

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जमींदार परिवार से हैं पप्‍पू यादव
राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव का जन्म धनी जमींदार परिवार में हुआ था, साल 1991 में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत पटना के बांकीपुर जेल में बंद पप्पू यादव के लिये वो समय मानो उनके जीवन का सबसे सुखद पहलू लेकर आया, आज भी उन दिनों की बातें याद कर पप्पू यादव का चेहरा खिल उठता है। एक अखबार से बातचीत में पप्पू यादव ने बताया कि मैं रंजीत जी को जितना शुक्रिया अदा करूं वो कम है, तीन साल तक हमारी दोस्ती चली, उन्होने मेरे प्यार को समझा, तमाम संघर्षों में मेरे साथ थी, हमारा प्रेम प्रसंग फरवरी 1992 से शुरु हुई, हमने 1994 में शादी की, वो दौर बेहद संघर्ष भरा था, तब एक-दूसरे से मिलना जुलना भी मुश्किल था, पटना आना-जाना तो बहुत बड़ी बात थी, मैं खुशनसीब हूं कि मुझे बहुत अच्छी पत्नी मिली है।

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आसान नहीं था प्‍यार को अपना बनाना
पप्पू यादव के लिये रंजीत रंजन का प्यार पाना आसान नहीं था, उन्हें अपने प्रेम को पाने के लिये बहुत पापड़ बेलने पड़े थे । शायद आपको हैरानी होगी ये जानकर कि रंजीत ने पहली बार में पप्पू यादव के प्रेम प्रस्ताव को ठुकरा दिया था, हालांकि पप्पू यादव ने हार नहीं मानी, उन्होने रंजीत से इतना कहा था कि उनके जिंदगी की पहली और आखिरी लड़की वहीं हैं।

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ऐसे शुरु हुई थी लव स्टोरी
उस समय पप्‍पू यादव पटना के बांकीपुर जेल में बंद थे । वो अकसर जेल अधीक्षक के आवास से लगे मैदान में लड़कों को खेलते देखा करते थे, इन्हीं लड़कों में रंजीत के छोटे भाई विक्की भी थे । धीरे-धीरे खेलने वाले लड़कों के साथ-साथ पप्पू यादव की नजदीकी बढने लगे, इसी क्रम में एक बार पप्पू ने विक्की के फैमिली एलबम में टेनिस खेलते रंजीत की तस्वीर देखी । वो पहली नजर में ही उन्हें दिल दे बैठे । जेल से छूटने के बाद रंजीत से मिलने के लिये पप्पू अकसर उस टेनिस क्लब पहुंच जाते थे, जहां वो टेनिस खेलती थीं । पप्पू की ये सब आदतें रंजीत को अच्छी नहीं लगती थी । उन्होने कई बार उन्‍हें मना भी किया, मिलने से रोका और कठोर शब्द भी कहे । लेकिन पप्पू यादव डटे रहे, एक बार तो रंजीत ने यहां तक कह दिया कि वो सिख है और पप्पू हिंदू, उनके परिवार के लोग इस रिश्ते को नहीं मानेंगे।

नींद की गोलियां खाईं
रंजीत रंजन के ऐसे व्यवहार से हताश होकर पप्पू यादव ने ढेर सारी नींद की गोलियां pappu yadavखा ली थी, जिसके बाद उन्हें पीएमसीएच में भर्ती कराया गया । इस घटना के बारे में उन्होने अपनी किताब द्रोहकाल रका पथिक में विस्तार से बताया है । लेकिन इस घटना का अच्‍छा असर ये हुआ कि रंजीत का व्यवहार बदलने लगा, लेकिन दोनों के लिए एक होना अब भी मुश्किल था । पप्पू के परिवार से इस शादी के लिये कोई समस्या नहीं थी, लेकिन रंजीत रंजन के पिता ग्रंथी थे, और शुरु से ही इस रिश्ते के खिलाफ थे । ऐसे में पप्पू यादव के बहन-बहनोई रंजीत के परिवार को मनाने के लिये चंडीगढ गये, फिर भी बात नहीं बनी, तमाम कोशिशों के बाद हर बार हताशा मिली, जिससे पप्पू निराश हो गये।

कांग्रेस नेता से मिली मदद
अपनी किताब में पप्पू यादव ने लिखा है कि किसी ने उन्हें कांग्रेस नेता एसएस अहलूवालिया से मिलने की सलाह दी, उस शख्स ने कहा कि अहलूवालिया जी आपकी मदद कर सकते हैं । जिसके बाद पप्पू यादव तुरंत उनसे मिलने के लिये दिल्ली पहुंचे, आखिरकार आहलूवालिया साहब के पहल से रंजीत के परिजनों को मनाने में मदद मिली । आखिरकार शादी की तैयारी हुई, फरवरी 1994 में दोनों की शादी हो गई।